असम: नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस में 40 लाख लोगों के नाम नहीं
नई दिल्ली। असम में जारी किये गए नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस के लिए जारी किये गए फाइनल ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों के नाम नहीं हैं। इसके चलते असम के सात जिलों में तनाव को देखते हुए धारा 144 लगायी गयी है।
असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर समन्यक प्रतीक हाजेला ने एनआरसी का अंतिम ड्राफ्ट जारी करते हुए बताया कि 3, 29, 91,384 करोड़ आवेदकों में से 2, 89, 83, 677 वैध पाए गए हैं। यह अंतिम मसौदा है।
हालाँकि एनआरसी समन्यक प्रतीक हाजेला ने यह भी कहा कि जिनका नाम इस ड्राफ्ट में नहीं है, वे घबराए नहीं। इसके लिए वह तय केंद्रों पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए सही से आवेदन करें और जरूरत पर सहायता भी ले सकते हैं। एनआरसी का पहला ड्राफ्ट पिछले साल दिसंबर के आखिर में जारी हुआ था।
क्या है एनआरसी:
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) में अपना नाम दाखिल करवाने के लिए असम में रह रहे नागरिको को यह साबित करना होगा कि वे भारत के नागरिक हैं। नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) में जिनके नाम नहीं होंगे उन्हें अवैध नागरिक माना जाएगा।
अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों का पता लगाने के लिए एनआरसी जारी करने का फैसला लिया गया था। हालांकि उसके बाद असम की राज्य सरकार असम समझौते में निर्धारित विदेशियों की पहचान और निष्कासित करने में लगातार नाकाम रही।
2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई और केंद्र सरकार के बीच एक अन्य समझौता हुआ और इसमें एक बार फिर से एनआरसी को अपडेट करने का फैसला लिया गया।
जुलाई 2009 में एक एनजीओ असम लोक निर्माण (एपीडब्ल्यू) ने पहल की तथा राज्य में बांग्लादेशी विदेशियों की पहचान करने और मतदाताओं की सूची से उनके नामों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई जिस पर कोर्ट ने यह काम जल्द करने का निर्देश दिया। 31 दिसंबर 2017 को असम के एनआरसी के पहले ड्राफ्ट को रिलीज करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने ही दिया था।