त्रिशंकु संसद की स्थति में अहम हो जाएगी ममता और नायडू की भूमिका

त्रिशंकु संसद की स्थति में अहम हो जाएगी ममता और नायडू की भूमिका

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के पहले चरण का चुनाव सम्पन्न हो चूका है। बीजेपी उसके सहयोगी दलों के अलावा कुछ न्यूज़ चैनलों के सर्वेक्षण में एनडीए को बहुमत मिलता दिखाया गया है लेकिन इसके बावजूद कुछ चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि देश में त्रिशंकु संसद की संभावनाएं बनती दिख रही हैं।

सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज (CSDS) द्वारा किए गए एक चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के अनुसार, वोट शेयर में वृद्धि के बावजूद प्रमुख राज्यों में ‘अधिक एकजुट विपक्ष’ के कारण भाजपा सीटें हार सकती है। सर्वेक्षण में भाजपा को 222 से 232 के बीच सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है, जो कि 2014 में उसके द्वारा जीती गई 283 सीटों से काफी कम है।

543 सीटों वाली लोकसभा में बहुमत के लिए 272 सीटों की आवश्यकता है। 2014 में जिस मोदी हवा के आधार पर बीजेपी सत्ता की दहलीज तक पहुंची थी अब उस हवा में पहले जैसी रफ्तार नहीं है। ज़ाहिर है इसका चुनाव पर बड़ा प्रभाव पड़ने वाला है।

वहीँ 2014 में उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक सीटें जीतने वाली बीजेपी को उत्तर प्रदेश में ही बड़ा घाटा होते दिखाई दे रहा है। इस बार उत्तर प्रदेश में सपा बसपा गठबंधन के चलते बीजेपी का जातिगत आंकड़ों का गणित बिगड़ चुका है। वहीँ कांग्रेस के एक बार फिर उठ खड़े होने से कई लोकसभा सीटों पर बीजेपी की साख दांव पर लगी है।

चुनाव विश्लेषकों की माने तो 2014 के मुकाबले इस चुनाव में बीजेपी को अधिकांश प्रदेशो में नुकसान हो रहा है। भविष्य में होने वाले इस नुकसान की बुनियाद उस समय पड़ गयी थी जब 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी अहम राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस के हाथो सत्ता गंवा दी।

विश्लेषकों की माने तो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में ही बीजेपी को करीब 80 सीटों का नुक्सान हो सकता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 282 सीटें जीती थीं और 2019 में उसे साफ़ तौर पर 80 से 100 सीटों तक का नुकसान होने से उसकी संख्या सिमट कर 200 के आसपास रह सकती है।

चुनावी विश्लेषकों की माने तो मोदी सरकार के कामकाज का सीधा असर उसके सहयोगी दलों पर भी होता दिख रहा है। ऐसे में सहयोगी दलों को भी कुल मिलाकर 12 से 20 सीटों का नुकसान हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो एनडीए का सत्ता तक पहुँच पाना मुश्किल होगा।

चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि त्रिशंकु संसद की स्थति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका बेहद अहम हो जायेगी और विपक्ष के गठजोड़ की सरकार बनाने में तेलगू देशम पार्टी के नेता एन चंद्रबाबू नायडू और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी की भूमिका अहम हो सकती है।

हालाँकि टीडीपी और टीएमसी का चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन नहीं है लेकिन बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए दोनों पार्टियां कांग्रेस के साथ खड़ी हो सकती हैं। सम्भवतः भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखकर ही दोनों पार्टियां कांग्रेस से निरंतर सम्पर्क बनाये हुए हैं।

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TeamDigital