त्रिशंकु विधानसभा की स्थति : बीजेपी के साथ नही जाएगी जेडीएस लेकिन ये हो सकता है खेल

त्रिशंकु विधानसभा की स्थति : बीजेपी के साथ नही जाएगी जेडीएस लेकिन ये हो सकता है खेल

नई दिल्ली (राजा ज़ैद)। कर्नाटक में शनिवार को हुए 222 विधानसभाओं के लिए हुए मतदान के परिणाम कल घोषित कर दिए जायेंगे। इस बीच चुनाव बाद आये एग्जिट पोल को देखते हुए राजनैतिक दलों ने अपने नए प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है।

यदि कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा की स्थति पैदा हुई तो सत्ता की चावी जनता दल सेकुलर के हाथ में रहेगी। ऐसे में कर्नाटक में किसकी सरकार बनेगी ये जनताल दल सेकुलर पर निर्भर करेगा।

हालाँकि कांग्रेस और बीजेपी दोनो की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने के दावे भर रहे हैं लेकिन एग्जिट पोल के नतीजो को देखते हुए दोनों पार्टियाँ अपने प्लान बी पर काम करने में जुट गयी हैं।

कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दलित मुख्यमंत्री बनाये जाने का दांव चल दिया है क्यों कि जनता दल सेकुलर किसी भी हाल में सिद्धारमैया के सीएम रहते कांग्रेस को समर्थन देने को तैयार नही है। कांग्रेस को समर्थन के सवाल पर जेडीएस का साफ़ कहना है कि पहले सिद्धारमैया हटें उसके बाद इस मुद्दे पर कांग्रेस से बात हो सकती है।

वहीँ दूसरी तरफ भी बीजेपी की तरफ से चुनाव प्रचार के दौरान ही जेडीएस पर डोरे डालना शुरू हो गया था। स्वयं प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने चुनावी मंच से जेडीएस नेता और पूर्व पीएम एच डी देवगौड़ा की प्रशंशा की थी।

वहीँ ऐसा माना जा रहा है कि त्रिशंकु विधानसभा कीई स्थति में कांग्रेस सीएम के तौर पर लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडके का नाम आगे कर सकती है ।

सिद्धारमैया के बयान पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़के ने कहा कि, ”सिद्धारमैया से विचार करके कांग्रेस आलाकमान जो भी फैसला करेगा, मैं उसको स्वीकार कर लूंगा। इससे ज्यादा मैं इस मसले पर कुछ नहीं कहना चाहता हूं। मीडिया में बिना वजह इसको मुद्दा बनाकर हम लोगों के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश की जा रही है।”

इसके बावजूद बड़ा सवाल यह है कि यदि त्रिशंकु विधानसभा की स्थति पैदा हुई तो जनता दल सेकुलर कांग्रेस या बीजेपी में से किसे चुनता है। सूत्रों की माने तो जेडीएस के अधिकांश नेता बीजेपी की जगह कांग्रेस का समर्थन करने के पक्ष में हैं।

सूत्रों के मुताबिक यदि सिद्धारमैया की जगह किसी अन्य को सीएम बनाया जाता है तो जनता दल सेकुलर को कांग्रेस के समर्थन से कोई परहेज नही। संभवतः यही कारण हैं कि कल सीएम सिद्धारमैया ने कर्नाटक में दलित मुख्यमंत्री बनाये जाने का दांव खेलते हुए खुद को साइड कर लिया।

वहीँ जानकारों की माने तो बीजेपी कर्नाटक से कांग्रेस को बेदखल करने के लिए जनता दल सेकुलर को आगे बढ़ा सकती है। जानकारों के अनुसार त्रिशंकु विधानसभा की स्थति में बीजेपी जनता दल सेकुलर को राज्य में सरकार बनाने के लिए अपना समर्थन दे सकती है। जानकारों के अनुसार ये ठीक उसी तरह होगा जैसे बिहार और जम्मू कश्मीर में बीजेपी अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार चला रही है।

वहीँ सूत्रों की माने तो जनता दल सेकुलर पर गैर बीजेपी दलों के नेताओं ने अभी से यह दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थति में जेडीएस बीजेपी को न समर्थन दे और न उससे समर्थन ले।

सूत्रों की माने तो 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष को एकजुट करने की मुहीम में लगे शरद यादव की जनता दल सेकुलर नेता एच डी देवगौड़ा से फोन पर बातचीत भी हुई है। सूत्रों के अनुसार देवगौड़ा को कहा गया है कि यदि त्रिशंकु विधानसभा की स्थति पैदा हो वह बीजेपी से परहेज करें अन्यथा इससे विपक्ष की एकजुटता पर सवाल खड़े होंगे।

वहीँ दूसरी तरफ जनता दल सेकुलर के नेता भी जानते हैं कि राज्य में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चलाना आसान नही होगा। सरकार बन्ने के बाद बीजेपी अपने हिंदुत्व एजेंडे को लागू करने के लिए दबाव बनाएगी तथा बीजेपी नेता अनावश्यक बयान देकर सरकार के लिए मुश्किलें पैदा करेंगे।

ऐसे में कयास लगाये जा रहे हैं कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थति में जनता दल सेकुलर खुद को बीजेपी से बचाए रखे और अपनी कुछ शर्तो के साथ कांग्रेस का समर्थन करे। इन शर्तो में सीएम सिद्धारमैया की जगह किसी अन्य को कर्नाटक का सीएम बनाना भी हो सकती है।

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