तीसरी वर्षगाँठ मनाने जा रही मोदी सरकार में नौकरियों का टोटा

नई दिल्ली। देश में रोज़गारो के अवसर को लेकर सरकार भले ही कोई भी कागज़ी दावे करे लेकिन अब सरकार के दावों से परतें उतरने लगी हैं। केंद्र में मोदी सरकार की तीसरी वर्षगाँठ के जश्न मनाने की तैयारियों में जुटी सरकार और बीजेपी के लिए राजगारो को लेकर एक बड़े खतरे की घंटी बज चुकी है।

देश में मोदी सरकार के आने के बाद नई नौकरियां देने के वादे किए गए थे तथा रोज़गार के नए अवसर पैदा करने की बात कही गई थी लेकिन देश में रोज़गार के नए अवसर तो दूर की बात खुद देश के आईटी सेक्टर में तो नौकरियों पर ही तलवार लटकी है।

एक ताजा सरकारी सर्वे में सामने आया है कि देश में वर्तमान में रोजगार वृद्धि की दर पिछले 7 सालों के मुकाबले सबसे निचले स्तर पर आ चुकी है। सर्वे का सबसेे चौंकाने वाला तथ्‍य यह है कि पिछले एक साल में ही देश में बेरोजगारों की संख्या में लगभग 2 करोड़ की बढ़ोतरी हुई।

सर्वे यह भी कहता है कि बेरोजगारी की सबसे ज्यादा मार पढ़े-लिखे युवाओं पर पड़ी है। जिनको रोजगार के संकट का सामना करना पड़ रहा है उनमें 25 फीसदी युवा 20 से 24 वर्ष के हैं, तो 17 फीसदी 25 से 29 वर्ष के युवा हैं।

विप्रो, इंफोसिस, टेक महिंद्रा और कॉग्निजेंट जैसी 7 बड़ी आईटी कंपनियां भारत में काम कर रहीं हैं। यह कंपनियां अपने 56,000 इंजीनियरों को बाहर करने की प्लानिंग कर रही हैं। पिछले साल की तुलना में इस साल कंपनियों में छटनी के माध्यम से निकाले जाने वाले एम्पलॉयीज़ की संख्या दोगुनी हो गई है। अंग्रेजी अखबार मिंट के मुताबिक इन सात कंपनियों में काम कर चुके और काम कर रहे 22 बड़े अधिकारियों के इंटरव्यू के बाद यह संख्या निकलकर आई है।

इनमें इंफोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, यूएस बेस्ड कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन, डीएक्ससी टेक्नोलॉजी और फ्रांस बेस्ड कैप जैमिनि कंपनी शामिल हैं। अंग्रेजी अखबार मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक इन सभी कंपनियों ने छटनी के लिए पहले ही जमीन तैयार कर ली है। इन 7 कंपनियों में 1.24 मिलियन लोग काम करते हैं।

कंपनियां 2017 में 4.5 फीसदी एम्पलॉयीज़ को बाहर का रास्ता दिखाने की प्लानिंग कर रही हैं। इन कंपनियों ने अपने काफी एम्पलॉयीज को कम रेटिंग दी है। कॉग्निजेंट ने अपने 15,000 एम्पलॉयीज़ को सबसे निचली कैटेगरी (चौथी श्रेणी) में रखा है। वहीं इंफोसिस ने अपने 3,000 सीनियर मैनेजरों को सुधार की जरूरत वाली श्रेणी में रखा है।

डीएक्ससी टेक्नोलॉजी ने अपना तीन साल का प्लान बनाया है। वह तीन साल में देश में अपने ऑफिसों की संख्या 50 से घटाकर 26 करने की तैयारी में है। कंपनी में 1,70,000 एम्पलॉयी हैं। इस साल के आखिर तक कंपनी अपने 5.9 फीसदी या 10,000 एम्पलॉयीज़ को बाहर का रास्ता दिखा सकती है।

सभी कंपनियां अभी इस प्लानिंग में हैं कि परफोर्मेंस की समीक्षा को कैसे और कठोर बनाया जाए, जिससे कि छटनी के माध्यम से ज्यादा एम्पलॉयीज़ को बाहर किया जा सके। पिछले कुछ सालों की बात करें तो परफोर्मेंस रिव्यू के आधार पर भारतीय आईटी कंपनियों में 1 से 1.5 फीसदी एम्पलॉयीज़ की नौकरी जाती थी। वहीं भारत में विदेशी कंपनियों के 3 फीसदी एम्पलॉयीज़ को नौकरी से हाथ धोना पड़ता था।

इस साल भारतीय और विदेशी कंपनियों द्वारा एम्पलॉयीज़ को निकालने का आंकड़ा 2 से 6 फीसदी तक है। रिपोर्ट के मुताबिक इस बात से इनकार किया गया है कि बढ़ती छटनी किसी संकट का संदेश दे रही हैं। मूल्यांकन प्रक्रियाओं के और कठोर होने को बढ़ती छटनी के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

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TeamDigital