ट्रिपल तलाक पर बहस जारी: उलेमाओं ने कहा इस में किसी बदलाव की गुंजाईश ही नहीं

Maulana-Khalid-Rashid

लखनऊ । एक तरफ जहां 3 तलाक के मामले को रोकने के लिए सुन्नी बरेलवी मसलक समर्थन दे रहा है। वहीं, दूसरी तरफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली का कहना है कि 3 तलाक के मामले कोई नहीं रोक सकता। इसे रोकने का किसी को अधिकार नहीं है। यही नहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक और सदस्य जफरयाब जिलानी का कहना है कि 3 तलाक देने के तरीके को रोकने की बात होनी चाहिए।

क्‍या है सुन्नी बरेलवियों  का कहना…
गुरुवार को दरगाह-ए-आला-हजरत में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में तीन तलाक पर रोक लगाने की मुहीम पर मौलाना अहसान रजा कादरी ने अपनी सहमती दी। उन्होंने कहा शरियत की जानकारी के आभाव में लोग गलत तरह से तीन तलाक देने की प्रथा जोर पकड़ रही है। इसे रोकने के लिए 26 जुलाई को मुरादाबाद में होने वाली कांफ्रेंस में मुस्लिमों को बताया जायेगा कि एक साथ तलाक देना कितना बड़ा गुनाह होता है।

क्या कहते हैं मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद का कहना है कि 3 तलाक का मामला कोई खत्म नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी इस मामले पर विचार कर रहा है कि कैसे ट्रिपल तलाक के बढ़ते मामलों को रोका जाए। उन्होंने कहा ट्रिपल तलाक का गलत प्रयोग करने वालों पर फाइन लगाना चाहिए। साथ ही मुस्लिमों में जागरूकता फैलाने की जरुरत है। साथ ही जो लोग पढ़े लिखे हैं, वहां पर ऐसे केस कम आ रहे हैं।

क्या कहते हैं जफरयाब जिलानी
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी का कहना है कि यह हम बहुत पहले से कह रहे हैं। उन्होंने कहा ट्रिपल तलाक पर रोक नहीं लगाई जा सकती है, लेकिन उसके गलत प्रयोग पर जरूर रोक लगाई जा सकती है। उन्होंने कहा मामला कोर्ट में है लेकिन मुस्लिम हमेशा ही शरियत के कानून से चलता है।

क्या कहती हैं मुस्लिम महिलाए
वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम करने वाली नाइश हसन का कहना है कि हम मुस्लिम महिलायें तीन तलाक पर रोक का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा ना तो संविधान और ना ही कुरान ट्रिपल तलाक का फेवर करता है। यह सिर्फ पुरुषवादी सोच का नतीजा है। इसको बंद होना चाहिए।

कोर्ट में है ट्रिपल तलाक का मामला
मुस्लिम महिला शायरा बानो की याचिका दाखिल कर बराबरी का हक़ देने की बात कही थी। इसके अलावा बीते 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के हक को लेकर खुद संज्ञान लिया था। इस मामले में सुनवाई चल रही है।

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