जानिये: ‘राइट टू प्राइवेसी’ का आप पर क्या पड़ेगा फर्क

जानिये: ‘राइट टू प्राइवेसी’ का आप पर क्या पड़ेगा फर्क

नई दिल्ली। निजता का अधिकार (राइट टू प्राइवेसी) पर सुप्रीमकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले से आम आदमी पर भी फर्क पड़ेगा। सुविधाएँ देने के नाम पर निजी कंपनियों द्वारा आधार जानकारियां मांगे जाने से आम आदमी की निजता (प्राइवेसी) पर प्रश्न चिन्ह लग गया था।

सिम खरीदने, निजी बैंको में खाता खोलने, इंटरनेट कनेक्शन लेने, लोन लेने जैसे कामो में निजी कंपनियां आधार कार्ड को ज़रूरी बनाने लगी थीं। वहीँ प्राइवेसी के नाम पर निजी कंपनियां ग्राहकों को यह आश्वस्त करने में असफल रहीं कि वे ग्राहकों की आधार जानकारियों को सुरक्षित रखने में सक्षम हैं। इतना ही नहीं आधार जानकरियों को सुरक्षित रखने के लिए निजी कंपनियों के पास कोई ठोस उपाय भी नही था।

राइट टू प्राइवेसी को लेकर मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहार ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि यह फैसले उनके द्वारा नहीं लिखा गया, लेकिन इसमें सबकी सर्वसम्मति थी। उन्होंने यह भी कहा कि छह और आठ सदस्यीय बैंच के पिछले दो फैसले रद्द किए जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि राइट टू प्राइवेसी जीवन के अधिकार के लिए जरूरी है और अब अनुच्छेद 21, भाग 3 का हिस्सा है।

जस्टिस खेहर ने कहा, संविधान के अनुच्छेद 21, जिसमें अब राइट टू प्राइवेसी जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। ये कहता है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार, कोई व्यक्ति अपने जीवन या निजी स्वतंत्रता से वंचित नहीं होगा।

पीठ के सभी जजों के निर्णयों के आधार पर सीजीआई खेहर ने कहा कि राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकार है। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये आधार कार्ड को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है।

आप पर क्या पड़ेगा फर्क :

  • सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद अब आपको अपनी आधार जानकारियां साझा नहीं करनी होंगी।

  • इस फैसले के बाद पैन, क्रेडिट कार्ड, बैंक अकाउंट, पासपोर्ट और टिकट बुकिंग के लिए आप जो भी अपनी निजी जानकारी देते हैं, वह आपकी निजिता बनाये रखने के लिए बाध्य होगा और उसको कोई भी तीसरा व्यक्ति लीक या फिर सार्वजनिक नहीं कर सकता है।

  • अब कोर्ट के फैसले के बाद सरकारी एजेंसियों और थर्ड पार्टी के लिए ऐसा करना मुश्किल हो जाएगा। पुलिस के पास सर्च वारंट होने के बावजूद पुलिस सीधे तौर पर आपके घर में नहीं घुस सकेगी।

  • सुप्रीमकोर्ट ने साफ़ किया कि सरकार एजेंसियों द्वारा पैन कार्ड, आधार कार्ड की जानकारियां देनी होंगी लेकिन वह आपकी निजता (प्राइवेसी) बनाये रखने के लिए बाध्य होंगी।

  • निजी कंपनियां आपकी जानकारियों को लीक नहीं कर सकेंगी। जानकारियां लीक होने की दशा में वे दंड की भागी होंगी।

  • कोई भी मोबाईल कम्पनी या अन्य प्राइवेट कम्पनी अपने ग्राहकों का डाटाबेस निजी तौर पर दूसरी कम्पनी को नहीं बेच सकेगा।

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TeamDigital