गुमशुदगी का 28वां दिन: जेएनयू के लापता छात्र मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई

नई दिल्ली । जेएनयू के लापता छात्र नजीब अहमद मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई है। पहले यह जांच दक्षिणी जिला पुलिस के पास थी। मामले में करीब एक महीने के बाद भी कोई सुराग नहीं मिलने पर पुलिस कमिश्नर ने यह जांच अब क्राइम ब्रांच के हवाले कर दी है। यह आदेश शुक्रवार को कमिश्नर ने जारी किया था।

गायब छात्र नजीब की मां बीते सप्ताह पुलिस मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करने के बाद भी जांच को लेकर संतुष्ट नहीं हुई तो उसने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलकात कर मामले की जांच सीबीआई या फिर अन्य किसी दूसरी एजेंसी से कराने की मांग की थी। माना जा रहा है कि नजीब की मां की इस मांग को देखते हुए गृह मंत्रालय की तरफ से पुलिस मुख्यालय को अन्य दूसरी यूनिट से जांच कराने के आदेश मिलने पर तफ्तीश क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है।

15 अक्तूबर से गायब है छात्र नजीब
नजीब अहमद पिछले महीने 15 अक्तूबर से लापता है। गायब होने के ठीक एक दिन पहले उसकी कुछ छात्रों के साथ लड़ाई हो गई थी। इसके बाद वह अगले दिन ही गायब हो गया था। मामला दर्ज कर जांच आरंभ की गई। लेकिन कोई सुराग नहीं मिला तो दक्षिणी जिले के एडिशनल डीसीपी मनीषी चंद्रा के नेतृत्व में स्पेशल इनवेस्टिव टीम(एसआईटी) का गठन कर 22 टीमों को जांच में लगाया गया था। इसमें से कई टीमें दिल्ली के बाहर गईं और उन्होंने छापेमारी की लेकिन उसका कोई सुराग हाथ नहीं लगा।

ऑपसेसिव कम्पलसिव डिस्ऑर्डर से है पीड़ित
हालांकि जांच आगे बढ़ी तो यह जरूर खुलासा हुआ कि गायब छात्र नजीब को ऑपसेसिव कम्पलसिव डिस्ऑर्डर(ओसीडी) व डिप्रेशन की बीमारी है। उसका इलाज 2012 से ही बदायूं का एक डॉक्टर इलाज कर रहा था। दिल्ली आने के बाद उसकी मां उसे लेकर विम्हंस अस्पताल पहुंची थी, जहां उसका इलाज डॉक्टर प्रेमलता चावला ने शुरू किया था। पुलिस कोदिए गए बयान में डॉक्टर प्रेमलता ने यह कहा कि नजीब पहली बार अगस्त महीने में और दोबारा सितम्बर महीने में इलाज के लिए उनके पास अपनी आया था।

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