गुजरात चुनाव पूर्व संसद के शीतकालीन सत्र और अन्ना आंदोलन से बेचैन है बीजेपी
नई दिल्ली: नवम्बर माह की शुरुआत हो चुकी है लेकिन अभी तक शीतकालीन सत्र के शुरू होने की तारीखों का एलान नही हुआ है. आमतौर पर एक माह तक चलने वाला शीतकालीन सत्र नवम्बर के तीसरे हफ्ते तक शुरू हो जाता था और उसके लिए ज़रूरी है कि सत्र शुरू होने से 21 दिनों पहले सभी सदस्यों को सूचित कर दिया जाए .
केंद्र सरकार की तरफ से अभी शीतकालीन सत्र की तारीख का एलान न होने के पीछे गुजरात चुनावो को अहम कारण बताया जा रहा है. बीजेपी सूत्रों की माने तो सरकार गुजरात चुनाव से पहले होने वाले शीतकालीन सत्र को छोटा करने के मूड में हैं. इसलिए करीब एक महीने तक चलने वाला शीतकालीन सत्र दो सप्ताह में निपट सकता है.
वहीँ सूत्रों के अनुसार प्रमुख सामजिक कार्यकर्त्ता अन्ना हजारे भी लोकपाल की न्युक्ति को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ अपने आन्दोलन को जनवरी की जगह दिसंबर के शुरू में ही करने का मन बना रहे हैं.
सूत्रों ने कहा कि हालाँकि अन्ना हजारे को मनाने के लिए महाराष्ट्र की फर्नवीस सरकार के दो मंत्रियों को ज़िम्मेदारी दी गयी है लेकिन अन्ना किसी की बात माने इस बात की सम्भावना कम ही दिखाई देती है.
सूत्रों ने कहा कि बीजेपी को डर है कि यदि गुजरात चुनाव से पहले अन्ना हजारे दिल्ली के रामलीला मैदान में आंदोलन लेकर बैठ गए तो उसका सन्देश गुजरात तक जाएगा. वहीँ दूसरा डर शीतकालीन सत्र को लेकर भी है.
सूत्रों ने कहा कि शीतकालीन सत्र को छोटा करने के पीछे बीजेपी की एक बड़ी सोच यह भी हो सकती है कि विपक्ष को मुद्दे कुरेदने का ज्यादा समय न मिल पाए. सूत्रों ने कहा कि शीतकालीन सत्र पूरी तरह हंगामेदार होने की पुरजोर सम्भावना है.
जहाँ विपक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह के मामले में सरकार से स्पष्टीकरण देने की मांग उठायेगा, वहीँ देश की अर्थव्यवस्था और जीएसटी को लेकर विपक्ष संसद के दोनो सदनों में सरकार को घेरने की कोशिश करेगा.
सूत्रों ने कहा कि ऐसे हालात में गुजरात चुनावो में बीजेपी के खिलाफ सन्देश जाना तय है .इसलिए बीजेपी अभी तक यह तय नही कर पायी है कि वह शीतकालीन सत्र शुरू करने के लिए कौन सी तारीखें तय करे और शीतकालीन सत्र की अवधि कितनी रखी जाए जिससे विपक्ष को ज्यादा समय न मिल सके .