खतौली हादसे में सामने आये रेलवे की घोर लापरवाही के सबूत

खतौली हादसे में सामने आये रेलवे की घोर लापरवाही के सबूत

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के खतौली में रविवार की शाम को हुई भीषण रेल दुर्घटना में रेलवे की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। करीब 05:45 बजे पूरी से हरिद्वार जाने वाली कलिंगा उत्कल एक्सप्रेस के 12 डिब्बे पटरी से उतर गए।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दुर्घटना में अब तक 50 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हैं। इस मामले में रेलवे की बड़ी लापरवाही सामने आयी है।

प्रत्यक्षदर्शी और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसे सिर्फ हादसा नहीं कहा जा सकता। क्योंकि इसके पीछे रेलवे की कई बड़ी लापरवाही सामने आई है। लापरवाही के चलते लोगों ने अपना जीवन खो दिया।

बताया जा रहा है कि ट्रेन को मरम्मत वाली ट्रैक से गुजरने दिया गया। जिसकी वजह से यह गंभीर दुर्घटना घटी। कुछ लोग यह भी बता रहे हैं कि हादसे के दौरान वहां रेलवे के कर्मचारी भी मौजूद थे।

दुर्घटना स्थल पर ट्रैक के पास हथौड़ा, रिंच, पाना,पेचकस जैसे औजार मिले। ये सारे औजार रेलवे के ही बताए जा रहे हैं। इससे यह आंशका गहरी होती है कि ट्रैक पर मरम्मत का काम जारी था।

इसके अलावा जिस रेलवे ट्रैक पर यह दुर्घटना घटी, वहां ट्रैक का कटा हुआ टुकड़ा मिला। साथ ही फिश प्लेट भी मिली जो दो पटरियों को जोड़ती है। साथ ही लाल झंडा मिलने की भी बात कही जा रही है। लाल झंडा ट्रैक पर मरम्मत के वक्त लगाया जाता है।

ऐसे में सवाल उठता है कि जब रेलवे ट्रैक पर मरम्मत का काम चल रहा था तो कैसे इस ट्रेन को वहां गुजरने दिया गया। क्या कोई एलर्ट जारी नहीं किया गया? या हजारों जीवन को कमतर आंका गया?

इतना ही नहीं रेल हादसे के बाद जब बिलासपुर मंडल से सफर करने वाले यात्रियों की जानकारी रेलवे के ऑनलाइन सिस्टम में खंगाले गए तो वह डाटा वहां मौजूद नहीं था। समाचार पत्र नईदुनिया के मुताबिक, यात्रियों के पते, मोबाइल नंबर का डाटा कृष सॉफ्टवेयर में नहीं मिल पाया।

बिलासपुर मंडल से 48 यात्री इस एक्सप्रेस में सवार थे। कृष सॉफ्टवेयर में सिर्फ यात्रियों के नाम, पीएनआर, और बर्थ का ही उल्लेख मिला। इसमें से मोबाइल नंबर और पता गायब था।

गौरतलब है कि यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे ने डिजीटल ऑनलाइन सिस्टम शुरू किया। इससे सुरक्षा के मद्देनजर यात्रियों की जानकारी जुटाना आसान होता है। लेकिन शनिवार को हुए इस हादसे से डिजीटल सिस्टम के साथ-साथ रेलवे की लापरवाही उजागर हुई है।

 

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