क्या उलझता जा रहा अयोध्या मामला: विवादित ज़मींन पर अब बौद्धों ने भी किया दावा
नई दिल्ली। अयोध्या की विवादित ज़मीन के मामले की सुनवाई सुप्रीमकोर्ट में चल रही है लेकिन इस जमीन को लेकर अब बौद्ध समुदाय ने भी अपना दावा ठोक दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में बौद्ध समुदाय के कुछ लोगों ने याचिका लगाकर दावा किया है कि यह विवादित जमीन बौद्धों की है. यहां पर पहले एक बौद्ध स्थल था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बौद्ध धर्म के लोगों की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।
सुप्रीमकोर्ट ने अयोध्या की विवादित ज़मीन पर हक़ जताने वाली बौद्ध समुदाय की याचिका पर कहा है कि मुख्य मुद्दे की सुनवाई वाली बेंच ही कर सकती है सुनवाई।
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका पिछले हफ्ते ही दायर की गई है। इसे संविधान के अनुच्छेद 32 (अनुच्छेद 25, 26 और 29 के साथ) के तहत एक दीवानी मामले के रूप में दर्ज किया गया है।
बौद्ध समुदाय की तरफ से यह याचिका विनीत कुमार मौर्य ने दायर की है। इस याचिका में उन्होंने विवादित स्थल पर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा चार बार की जाने वाली खुदाई में मिले अवशेषों को आधार बनाया है।
मौर्य ने दावा किया है कि अयोध्या में जिन 50 गड्ढों की खुदाई हुई है, वहां किसी भी मंदिर या हिंदू ढांचे के अवशेष नहीं मिले हैं। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर अयोध्या में अंतिम खुदाई साल 2002-03 में हुई थी।
याचिका में कहा गया है कि एएसआई की खुदाई से पता चला है कि वहां स्तूप, गोलाकार स्तूप, दीवार और खंभे थे। इससे साफ जाहिर होता है कि किसी बौद्ध विहार की विशेषता होते हैं।
गौरतलब है कि अयोध्या में विवादित ज़मीन को लेकर सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई चल रही है। इसमें हिन्दू और मुस्लिम समुदाय पक्षकार हैं। ज़मीन के मालिकाना हक के लिए दोनो पक्षों ने अपने अपने सबूत रखे हैं। इनमे पुरानी पांडुलिपियां भी शामिल हैं।