केंद्रीय योजना के तहत न्युक्त 50 हज़ार उर्दू शिक्षकों को है दो साल से वेतन का इंतज़ार
नई दिल्ली। केंद्रीय योजना के तहत पंजीकृत मदरसों में शिक्षा देने वाले करीब 50 हज़ार उर्दू शिक्षकों को दो वर्ष से बेतन नहीं मिल रहा। वेतन को लेकर सरकार की तरफ से नाउम्मीद हो चुके कई उर्दू शिक्षक अब तक नौकरी भी छोड़ चुके हैं।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक खबर के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा दो वर्ष से उर्दू शिक्षकों के वेतन के लिए फंड नहीं भेजा गया है। इससे 16 राज्यों के करीब 50 हज़ार से अधिक उर्दू शिक्षक प्रभावित हुए हुए हैं।
गौरतलब है कि राज्यों में चुनिंदा मदरसों में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से केंद्रीय योजना (स्कीम फॉर प्रोवाइडिंग क्वॉलिटी एजुकेशन) के तहत इन उर्दू शिक्षकों की न्युक्ति की गयी थी। लेकिन दो वर्षो से वेतन न मिलने के चलते कई राज्यों के उर्दू शिक्षक पीड़ा झेल रहे हैं। इनमे बीजेपी शासित राज्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड,मध्य प्रदेश तथा झारखण्ड भी शामिल हैं।
खबर के अनुसार केंद्र सरकार को वर्ष 2016-2017 में इन उर्दू शिक्षकों के वेतन के लिए 296.31 करोड़ रूपया जारी करना था लेकिन सरकार ने इसके लिए फंड जारी नहीं किया। वहीं 2017-18 में अब तक कोई भी राशि जारी नहीं की गई है। जिसके चलते इन उर्दू शिक्षकों को दो वर्षो से वेतन नहीं मिल सका है।
इस योजना की शुरुआत मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 2008-09 में मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। इसके तहत मदरसा शिक्षकों को उनके वेतन का एक बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार की तरफ से मिलना था।
स्नातक शिक्षकों को केंद्र सरकार की ओर से 6,000 रुपये प्रति माह और परास्नातक शिक्षकों को 12,000 रुपये प्रति माह दिए जाने थे जो कि उनके वेतन का क्रमशः 75 और 80 प्रतिशत है तथा वेतन का बाकी हिस्सा राज्य सरकारें देती हैं।
खबर के अनुसार अखिल भारतीय मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के मुस्लिम रज़ा ख़ान ने टीओआई को बताया कि ‘भारत में कुल 18,000 मदरसों में से आधे उत्तर प्रदेश में हैं, जिनमें लगभग 25,000 शिक्षक पढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में तो शिक्षकों ने तीन साल से वेतन नहीं प्राप्त किया है। हमने 8 जनवरी को लखनऊ में प्रदर्शन करने का फैसला किया है।