कावेरी जल विवाद: 120 साल बाद आया फैसला, तमिलनाडु का घटा पानी

कावेरी जल विवाद: 120 साल बाद आया फैसला, तमिलनाडु का घटा पानी

नई दिल्ली। वर्षो से चले आ रहे कावेरी जल विवाद में सुप्रीमकोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है। इस फैसले से दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के बीच दशकों पुराने कावेरी जल विवाद का निपटारा हो गया है।

कोर्ट ने कावेरी नदी के पानी का बंटवारा करते हुए कर्नाटक के हिस्से का पानी बढ़ा दिया है। कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु को 192 की बजाए 177.25 TMC पानी दिया जाए, वहीं बेंगलुरु को 4.75 TMC पानी दिया जाएगा। कोर्ट ने कर्नाटक के हिस्से के पानी में 14.75 TMC पानी बढ़ाया है। अब कर्नाटक को कुल 285 TMC पानी मिलेगा।

कोर्ट ने तमिलनाडु को मिलने वाले पानी की मात्रा को घटा दिया है। इस फैसले से कर्नाटक को फायदा पहुंचा है.कोर्ट ने कहा कि नदी पर किसी राज्य का दावा नहीं है। अब इस फैसले को लागू कराना केंद्र सरकार का काम है. कोर्ट ने कहा कि पानी राष्ट्रीय संपत्ति है। कोर्ट के इस फैसले पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने खुशी जताई है। कोर्ट ने कहा कि अगले 15 साल के लिए ये फैसला प्रभावी रहेगा।

तमिलनाडु ने कावेरी बेसिन से तमिलनाडु को 10 टीएमसी ग्राउंड वाटर अतिरिक्त इस्तेमाल की इजाजत भी दी। इससे पहले कर्नाटक ने तमिलनाडु को ये कहते हुए कावेरी का पानी देने से इंकार कर दिया था कि उनके अपने किसानों के लिए ही पानी पर्याप्त नहीं है।

तमिलनाडु को इस फैसले से झटका लगा है। राज्य सरकार ने कहा है कि इस फैसले के अध्ययन के बाद वे आगे की कार्रवाई तय करेंगे। 137 साल पुराने कावेरी जल विवाद को लेकर कर्नाटक-तमिलनाडु और केरल आमने-सामने हैं। वहीं एआईएडीएमके ने इस फैसले पर नाखुशी जताई है। पार्टी इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकती है।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़ की पीठ ने पिछले वर्ष 20 सितंबर को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की तरफ से दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। तीनों राज्यों ने कावेरी जल विवाद अधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) की तरफ से 2007 में जल बंटवारे पर दिए गए फैसले को चुनौती दी थी।

क्या है कावेरी जल विवाद :

कावेरी जल विवाद वर्षो पुराना मामला है। ये विवाद कावेरी नदी के पानी को लेकर है जिसका उदगम स्थल कर्नाटक के कोडागु जिले में है। यहां से निकलकर ये नदी 750 किलोमीटर लंबी ये नदी कुशालनगर, मैसूर, श्रीरंगापटना, त्रिरुचिरापल्ली, तंजावुर और मइलादुथुरई जैसे शहरों से गुजरती हुई तमिलनाडु में बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

इसके बेसिन में कर्नाटक का 32 हजार वर्ग किलोमीटर और तमिलनाडु का 44 हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका शामिल है। कर्नाटक और तमिलनाडु, दोनों ही राज्यों का कहना है कि उन्हें सिंचाई के लिए पानी की जरूरत है और इसे लेकर दशकों से उनके बीच लड़ाई जारी थी।

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