कांग्रेस सेवादल देगा संघ को टक्कर, कांग्रेस में होंगे ये बड़े बदलाव !
नई दिल्ली। अगले वर्ष दो महत्वपूर्ण राज्यों राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। पंजाब की तर्ज पर गुजरात में विधानसभा चुनाव लड़ी कांग्रेस वहां के नतीजों से उत्साहित है। भले ही पार्टी गुजरात में सरकार नहीं बना सकी लेकिन कांग्रेस ने बीजेपी को हर विधानसभा में कड़ी टक्कर पेश की।
कांग्रेस सूत्रों की माने तो 14 जनवरी को मकर संक्रांति के बाद पार्टी के कोषाध्यक्ष, महासचिव, सचिव, विभागों के प्रभारियों में बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी कांग्रेस सेवा दल पर ख़ास ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।
सूत्रों की माने तो राहुल गांधी मानते हैं कि पिछले एक दशक से कांग्रेस सेवादल निष्क्रिय सा हो गया है जबकि कांग्रेस सवाल दल एक ऐसा फ्रंटल है जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को टक्कर दे सकता है। सूत्रों के मुताबिक राहुल चाहते हैं कि कांग्रेस सेवादल को पुरानी लय में वापस लाया जाए। इस फ्रंटल संगठन के कार्यकर्ताओं को पुनर्जीवित किया जाए तथा कहीं भी चुनाव हो तो इस कांग्रेस सेवादल की भूमिका भी तय की जाए।
सूत्रों ने कहा कि कई सीनियर कांग्रेस नेता कांग्रेस सेवादल से ही आगे आये हैं लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के निधन के बाद कहीं न कहीं कांग्रेस सेवादल कमज़ोर होता चला गया है।
सूत्रों ने कहा कि भविष्य में होने वाले चुनावो में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आजकल अपना होमवर्क करने में जुटे हैं। सूत्रों ने कहा कि पार्टी नेताओं द्वारा आग्रह न किये जाने के बावजूद राहुल गांधी ने स्वयं गुजरात में पार्टी की हार की समीक्षा के लिए आयोजित चिंतन शिविर में भाग लेने तथा कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिलकर हार के कारण जानने के गुजरात का कार्यक्रम बनाया था।
सूत्रों के मुताबिक राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस गुजरात की तर्ज पर ही मैदान में उतरेगी। सूत्रों ने कहा कि दोनों राज्यों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मोर्चा सँभालने से पहले क्षेत्रीय नेताओं को एक एक विधानसभा का दौरा कर वहां की नब्ज़ टटोलने का काम सौंपा जा रहा है। इतना ही नहीं दोनो राज्यों में गुजरात की नवसृजन यात्रा के तर्ज पर प्रत्येक विधानसभा में कांग्रेस अपने कार्यक्रमों का आयोजन करेगी।
सूत्रों की माने तो अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बात को स्वीकार कर रहे है कि लगातार पराजय के पीछे एक बड़ा कारण क्षेत्रीय चेहरों को अनदेखी भी है। इसलिए अब बदली रणनीति के तहत कांग्रेस ने क्षेत्रीय नेताओं को मजबूत बनाना और नये चेहरों को अवसर देना शामिल किया है।
सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी चाहते हैं कि प्रदेश और जिला स्तर पर कांग्रेस पार्टी मजबूत हो। वह आम लोगों की आवाज बने। इसके लिए जरूरी है कि 70, 80 के दशक वाली कांग्रेस की तरह हर राज्य और क्षेत्र में पार्टी का दमदार चेहरा हो। कांग्रेस पार्टी के एक महासचिव का भी मानना है कि चेहरा और चेहरों में तालमेल की ही पार्टी में कमी है।
सूत्रों ने कहा कि पार्टी अब पंजाब में कांग्रेस को सफलता मिलने के पीछे क्षेत्रीय कद्दावर नेता कैप्टेन अमरिंदर सिंह की मौजूदगी मानती है। सूत्र का कहना है कि म.प्र. में पार्टी के पास नेताओं की कमी नहीं है। कद्दावर और जनाधार वाले चेहरे हैं। यही स्थिति कभी छत्तीसगढ़ में थी, लेकिन राजनीतिक चुनौती आने पर कांग्रेस के नेता एक नहीं हो पाते। यही वजह है कि म.प्र., छत्तीसगढ़ में कांग्रेस काफी समय से सत्ता से दूर है।
सूत्रों के मुताबिक अब बदली रणनीति के साथ कांग्रेस गुजरात चुनाव में मिले अनुभव को ध्यान में रखकर अपने चुनावी मिशन को आगे बढ़ाएगी। सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी फ़िलहाल कोई राजनैतिक सलाहकार न्युक्त करने के पक्ष में नहीं हैं। वे आने वाले कुछ दिनों में पार्टी को बेहतर बनाने के लिए कुछ कड़े कदम उठा सकते हैं। इनमे निष्क्रिय और गुटबंदी करने वाले नेताओं की पदों से छुट्टी भी शामिल है।