कांग्रेस ने राफेल डील को लेकर कैग में दर्ज कराई शिकायत
नई दिल्ली। राफेल लड़ाकू बिमान में अनियमितताओं को लेकर आज कांग्रेस ने इस मामले पर कैग #CAG का दरवाजा खटखटाया। कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल में वरिष्ठ नेता गुलामनबी आज़ाद, रणदीप सुरजेवाला, आनंद शर्मा, अशोक गहलोत, मोतीलाल वोहरा, जयराम रमेश, अहमद पटेल, राजीव शुक्ला, मुकुल वासनिक शामिल थे।
इससे पहले कल पूर्व रक्षा मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता ए के एंटनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राफेल डील पर तथ्य सामने रखे थे। एंटनी ने सवाल उठाया कि 136 राफेल खरीदने का प्रस्ताव था, तो इसे घटाकर 36 क्यों किया गया?
एंटनी ने कहा, हमारी सरकार के अंतिम दिनों में राफेल करार लगभग पूरा हो चुका था. 2015 में जब एनडीए की सरकार आई तो 10 अप्रैल 2015 को 36 राफेल विमान खरीदने का एकतरफा फैसला लिया गया। जब कि एयरफोर्स ने 126 विमान मांगे थे, तो प्रधानमंत्री ने इसे घटाकर 36 क्यों किया, इसका जवाब देना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि हमारी मांग पहले दिन से स्पष्ट है कि संयुक्त संसदीय समिति इस मामले की जांच करे. सीवीसी का संवैधानिक दायित्व है कि वो पूरे मामले के कागजात मंगवाएं और जांच कर पूरे मामले की जानकारी संसद में रखें।
एंटनी ने कहा कि यूपीए शासनकाल के दौरान, एचएएल मुनाफा कमाने वाली कंपनी थी। मोदी सरकार के समय इतिहास में पहली बार एचएएल ने अलग-अलग बैंकों से लगभग 1000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है।
प्रेस कांफ्रेस में उन्होंने कहा कि मोदी सरकार लगातार कहती आ रही है कि उसने सस्ते में राफेल सौदा किया है, अगर यह बात सही है तो फिर उसने सिर्फ 36 विमान ही क्यों खरीदे? कानून मंत्री ने दावा किया कि नये समझौते में विमान यूपीए सौदे से 9 फीसदी सस्ता है। वित्त मंत्री ने कहा 20 फीसदी और भारतीय वायुसेना के अधिकारी ने यह 40 फीसदी सस्ता बताया है।
पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी मांग पहले दिन से साफ हैं कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) इस मामले की जांच करे। सीवीसी का संवैधानिक दायित्व है कि वो पूरे मामले के कागजात मंगवाएं और जांच कर पूरे मामले की जानकारी संसद में रखें।