कांग्रेस और यूडीऍफ़ के बीच सेकुलर मतों का विभाजन बना भाजपा की जीत का कारण

Maulana_Badruddin

नई दिल्ली । असम में अपनी सफलता के लिए भाजपा भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो लेकिन असम में उसकी जीत का कारण सेकुलर वोटो का विभाजन माना जा रहा है । कांग्रेस और बदरुद्दीन अजमल की एयूडीऍफ़ के बीच अधिकांश सीटों पर सेकुलर मतो के विभाजन से ही भाजपा की जीत का रास्ता बना है ।

इस चुनाव में जहां भाजपा नीत गठबंधन 86 सीटें जीतकर राज्य में सत्ता बनाने के करीब पहुंच गई है वहीं 2011 में 18 सीट जीतने वाली अजमल की एआईयूडीएफ को इस बार 13 सीटें ही मिली हैं। पिछले विधानसभा में अजमल की पार्टी मुख्य विपक्षी दल थी। वहीँ प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस को मात्र 26 सीटें ही मिली हैं ।

असम में कुल मुस्लिम आबादी 34 फीसदी है। 9 जिलों के 39 विधानसभा क्षेत्रों में इस वर्ग का अच्छा खासा प्रभाव है लेकिन चुनाव परिणाम से स्पष्ट है कि अल्पसंख्यक मत कांग्रेस और एआईयूडीएफ के बीच बंटा है जिसका नुकसान दोनों दलों को उठाना पड़ा है। एआईयूडीएफ 76 और जेडीयू-आरजेडी 12 सीटों पर लड़ी थीं।

जनजातियों का झुकाव पारंपरिक रूप से कांग्रेस की ओर रहा है, मगर हाल के समय में स्थिति में कुछ बदलाव नजर आया है । ऊपरी असम में सर्वानंद सोनोवाल की वजह से भाजपा इसमें काफी सेंध लगा पाई है।

जानकारों का कहना है कि यदि चुनाव पूर्व कांग्रेस और यूडीऍफ़ आपस में सीटों के बंटवारे को लेकर को तालमेल बना पाते तो परिणाम बदले हुए होते । कांग्रेस यूडीऍफ़ और जनता दल यूनाइटेड का गठबंधन भाजपा को हाशिये पर धकेल सकता था लेकिन समय रहते इस गठबंधन पर कोई सहमति बनाने की कोशिश नहीं की गई ।

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