कहीं बीजेपी को महंगे साबित न हो योगी आदित्यनाथ, ये है वजह
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नई दिल्ली(राजाज़ैद)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को बीजेपी ने बतौर स्टार प्रचारक चुनावी मैदान में उतारा है लेकिन आदित्यनाथ बीजेपी के लिए वोट जुटा रहे हैं अथवा बीजेपी के वोट घटा रहे हैं इसका फैसला 11 दिसंबर को होगा जब पांच राज्यों के विधानसभा के चुनाव परिणाम घोषित किये जायेंगे।
यदि फिलहाल मध्य प्रदेश और राजस्थान के चुनाव प्रचार का आंकलन किया जाए तो योगी आदित्यनाथ की सभाओं में उम्मीद के मुताबिक भीड़ नहीं जुटी। हिंदी भाषी राज्यों में योगी आदित्यनाथ की सभाओं में भीड़ न उड़ना अपने आप में बहुत कुछ कहता है।
वहीँ राजस्थान के अलवर की सभा में योगी आदित्यनाथ द्वारा हनुमानजी की जाति को लेकर दिए गए बयान से बीजेपी और स्वयं योगी आदित्यनाथ को बैकफुट पर आना पड़ा है। योगी आदित्यनाथ के बयान पर बीजेपी नेताओं को अपनी सभाओं में सफाई देनी पड़ी है। इतना ही नहीं स्वयं सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी अपने बयान पर सफाई दी है।
इसके बावजूद हनुमानजी की जाति का मुद्दा थमा नहीं है और इस पर सफाई देने के चक्कर में कई अन्य बीजेपी के नेताओं ने भी अपने बयान दे डाले हैं। योगी आदित्यनाथ द्वारा हनुमानजी को लेकर दिया गया बयान बीजेपी के लिए जी का जंजाल बनकर घूम रहा है और विपक्ष के अलावा योगी आदित्यनाथ केबिनेट में मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने भी मौका देख कर बीजेपी और सीएम योगी पर निशाना साधा है।
वहीँ उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व केबिनेट मंत्री आज़म खान ने भी योगी आदित्यनाथ के बयान पर चुटकी लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज़म खान ने कहा कि “यदि योगी आदित्यनाथ को ये पता है कि हनुमान जी दलित थे तो योगी आदित्यनाथ ये भी बताएं कि वे कौन से दलित थे। उन्होंने सीएम योगी पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने जो बता दिया वो तो सही है क्योकि वो इतिहासकार भी हैं, बड़ी पकड़ है इतिहास पर।”
जहाँ तक योगी आदित्यनाथ की सभाओं से बीजेपी को चुनावी फायदे की बात है तो राजस्थान और मध्य प्रदेश में बीजेपी को कोई फायदा मिलता नज़र नहीं आ रहा। इसकी अहम वजह दोनों राज्यों में सरकार विरोधी लहर है।
बीजेपी को जिस स्थति का सामना मध्य प्रदेश में करना पड़ा ठीक उसी स्थति से राजस्थान में गुजरना पड़ रहा है। वहीँ तेलंगाना में योगी का जादू जनता की समझ से कोसो दूर है। ऐसी स्थति में यह मान लेना चाहिए कि बीजेपी योगी आदित्यनाथ से जिस करिश्मे की उम्मीद लगाए बैठी थी वह होता नहीं दिख रहा ।
इसके पलट बीजेपी को साफ़ तौर पर एक बड़ा नुकसान यह हो रहा है कि योगी आदित्यनाथ ने अपनी सभाओं में जिस तरह के मुद्दों पर फोकस किया वह बीजेपी से जुड़े बुद्धजीवियों के गले उतरने वाला नहीं है। ऐसे में वोटों का नुकसान होना लाज़मी है।
जानकारों की माने तो समाज मे हर तरह का मतदाता होता है जो किसी पार्टी विशेष से जुड़े होने के बावजूद अपनी अलग राय भी रखता है। ऐसा मतदाता हनुमानजी की जाति या एक धर्म विशेष को प्रभावित करने वाले भाषणों को अहमियत नहीं देता। ऐसे में बीजेपी का वो मतदाता जो कहीं न कहीं धार्मिक होने के बावजूद सेकुलर विचारधारा वाला है, वह योगी आदित्यनाथ के भाषणों से प्रभावित नहीं हो सकता।
एक अहम बात यह भी है कि अब मतदाता चाहता है कि वह किस सभा में जाए वहां उसके बारे में बात हो, सरकार क्या नया करने जा रही है इस बारे में बात हो या जो समस्याएं हैं उनके निराकरण को लेकर बात हो। यदि योगी आदित्यनाथ अपने भाषणों में हनुमान जी की जाति बताएँगे, या पूरे भाषण में हिन्दू मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर बात करेंगे तो ऐसे भाषण सभी मतदाताओं पर बहुत अधिक असर नहीं करते बल्कि एक विशेष मानसिकता वाले मतदाता ही प्रभवित हो सकते हैं।
एक और अहम बात यह भी है कि योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का सीएम रहते कोई ऐसी उपलब्धि नहीं है जिसे वो चुनावी सभाओं में उदाहरण बतौर पेश कर सकें। मध्य प्रदेश और राजस्थान, उत्तर प्रदेश से बहुत दूरी पर नहीं हैं इसलिए इसे छिपाया भी नहीं जा सकता।