कर्नाटक: बागी कांग्रेस विधायकों के पार्टी में वापस लौटने के संकेत
बेंगलुरु। कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस विधायकों के इस्तीफो के बाद पैदा हुई असमंजस की स्थति से अब बादल छंटते नज़र आ रहे हैं। इस बीच खबर है कि बागी कांग्रेस विधायकों में फूट पड़ गयी है। अधिकांश विधायक पार्टी में वापस लौटने को राजी हो गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक कांग्रेस के नेता डी के शिवकुमार द्वारा बागी विधायकों से पार्टी में वापसी का अनुरोध किया गया था। इससे पहले डीके शिवकुमार आज सुबह पांच बजे आवास मंत्री एमटीबी नागराज के घर पहुंचे और वहां लगभग साढ़े चार घंटे बातचीत की।
बागी विधायकों को भेजे अपने सन्देश में शिवकुमार ने कहा था कि हमने पार्टी को 40 साल दिए हैं। पार्टी में उतार चढाव आते रहते हैं लेकिन हमे पूरी वफादारी और निष्ठां से पार्टी में बने रहना है।
डी के शिवकुमार के सन्देश पर सबसे पहले बागी विधायक एमटीबी नागराज ने पार्टी में वापसी के संकेत देते हुए कहा कि ‘हमने अपना इस्तीफा तो सौंप दिया है लेकिन अब डीके शिवकुमार और अन्य ने आकर हमसे इस्तीफे वापस लेने का अनुरोध किया है। मैं के सुधाकर राव से बात करुंगा और फिर हम देखेंगे कि आगे क्या करना है। आखिर मैंने कांग्रेस में दशकों बिताए हैं।’
बागी विधायक नागराज के सकारात्मक रुख के बाद बागी विधायकों के तेवर नरम पड़ने की खबर आ रही है। सूत्रों ने कहा कि के सुधाकर राव और डी के शिवकुमार के बीच बातचीत हो चुकी है और कभी भी बागी विधायक पार्टी की तरफ रुख कर सकते हैं। वहीँ बाद में बागी विधायक एम टी वी नागराज कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वरा से उनके आवास पर मिले।
वहीँ दूसरी तरफ मुख्यमंत्री एच डी कुमार स्वामी ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने की तैयारी शुरू कर दी है। कुमार स्वामी ने कहा कि वे अपना इस्तीफा नहीं देंगे बल्कि सदन में अपना बहुमत साबित करेंगे।
इससे पहले शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष केआर रमेश कुमार से कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के 10 बागी विधायकों के इस्तीफों और उनकी अयोग्यता के मसले पर अगले मंगलवार तक कोई भी निर्णय नहीं लिया जाये।
कांग्रेस के 13 और जदएस के तीन विधायकों समेत 16 विधायकों ने इस्तीफा दे चुके है। उन दो निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है, जिन्हें हाल में मंत्री बनाया गया था।
ऐसी स्थति में विधानसभा अध्यक्ष के अलावा सत्तारूढ़ गठबंधन का कुल संख्याबल 116 (कांग्रेस-78, जदएस-37 और बसपा-1) है। दो निर्दलीय उम्मीदवारों का भी सरकार को समर्थन प्राप्त था, लेकिन, उन्होंने सोमवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
उधर, भाजपा के पास 107 विधायक हैं। 224 सदस्यीय सदन में बहुमत के लिए 113 विधायकों का समर्थन जरूरी है। अगर 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए जाते हैं, तो गठबंधन का संख्याबल घटकर 100 रह जायेगा।