एनआरसी से संतुष्ट नहीं बीजेपी के मंत्री, ममता और ओवैसी का बीजेपी पर हमला

नई दिल्ली। असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की फाइनल लिस्ट को लेकर असम सरकार में वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा के बयान पर राजनैतिक बहस शुरू हो गयी है। हेमंत बिस्वा शर्मा ने एनआरसी में हेराफेरी की आशंका जताई है।
हेमंत बिस्वा शर्मा के बयान पर जहाँ आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी पर निशाना साधा वहीँ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी एनआरसी मुद्दे पर बीजेपी को कटघरे में खड़ा किया है।
गौरतलब है कि एनआरसी की फाइनल सूची जारी होने से पहले हेमंत बिस्वा शर्मा ने कहा, ‘मैंने एनआरसी को लेकर सभी उम्मीदें खो दी हैं। मैं बस चाहता हूं कि दिन बिना किसी बुरी घटना के शांति से गुजर जाए।’
इतना ही नहीं शर्मा ने कहा कि ‘केंद्र और राज्य सरकार विदेशियों को राज्य से बाहर करने के नए तरीकों पर चर्चा कर रही हैं। मुझे नहीं लगता कि यह अंतिम सूची है, अभी और भी बहुत कुछ सामने आना बाकी है।’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एनआरसी के मुद्दे पर बीजेपी को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि ‘एनआरसी ने उन सभी को बेनकाब कर दिया है, जिन्होंने राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की। उनके पास राष्ट्र को जवाब देने के लिए बहुत कुछ है. ऐसा तब होता है जब समाज की भलाई और राष्ट्र के बड़े हित के बजाय किसी काम को एक उल्टे मकसद से किया जाता है।’
ममता बनर्जी ने कहा कि ‘मेरा दिल उन सभी, विशेषकर बड़ी संख्या में बंगाली भाषी भाइयों और बहनों पर जाता है, जो इस प्रक्रिया के कारण पीड़ित हैं।’
इससे पहले एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बीजेपी को सबक सीखना चाहिए। उन्हें हिंदू और मुस्लिम के आधार पर देशभर में एनआरसी की मांग को बंद कर देना चाहिए। उन्हें सीखना चाहिए कि असम में क्या हुआ। अवैध घुसपैठियों का भ्रम टूट गया है।
उन्होंने कहा, ‘ये मेरा अपना संदेह है कि बीजेपी नागरिकता संशोधन बिल के जरिए बीजेपी ऐसा बिल ला सकती है, जिससे सभी गैर मुस्लिमों को नागरिकता दे सकती है, जो समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा।’
ओवैसी ने कहा कि असम के कई लोगों ने मुझे बताया कि माता-पिता के नाम लिस्ट में हैं जबकि बच्चों के नहीं। उदाहरण के तौर पर मोहम्मद सनाउल्लाह ने सेना में काम किया। उनका मामला हाई कोर्ट में लंबित है. मुझे उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा।
गौरतलब है कि 31 अगस्त(शनिवार) को सामने आयी एनआरसी की फाइनल सूची में 3 करोड़ 11लाख 21 हजार 4 लोगों को शामिल किया गया है जबकि सूची से 19 लाख 6 हजार 657 लोगों को बाहर रखा गया है।