एनआरसी मामले में सहानुभूति पूर्वक विचार करे सरकार – जुनेद क़ाज़ी

एनआरसी मामले में सहानुभूति पूर्वक विचार करे सरकार – जुनेद क़ाज़ी

न्यूयॉर्क। एनआरसी मामले को लेकर आईएनओसी यूएसए के पूर्व अध्यक्ष जुनेद क़ाज़ी ने कहा है कि बांग्लादेश से असम में शरण लेने वाले शरणार्थियों के साथ मानवता का व्यवहार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार को ये नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय नागरिक भी कई अन्य देशो में रहते हैं।

जुनेद क़ाज़ी ने कहा कि एनआरसी के ड्राफ्ट में 40 लाख लोगों के नाम शामिल न होना चिंता का विषय है। उन्होंने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि मोदी सरकार को कांग्रेस के पापो का राजनैतिक लाभ लेने की जगह एनआरसी के ड्राफ्ट से पैदा हुए विवाद को सहनुभूति पूर्वक हल करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस चाहती तो यह मामला पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय में ही हल हो सकता था तथा बांग्लादेश से असम आने वाले लोगों को रोका जा सकता था लेकिन कांग्रेस ने इस मामले को दबाये रखा।

जुनेद क़ाज़ी ने कहा कि बांग्लादेश से काम काज की तलाश में भारत में बस चुके लोगों को यूँ अचानक बाहर नही किया जाना चाहिए। उन्हों बांग्लादेश जैसे छोटे मुल्क ने बड़ा दिल दिखाते हुए म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों को अपने यहाँ रहने की अनुमति दी है।

उन्होंने कहा कि भारत का भी फ़र्ज़ बनता है कि वह भारत में सालो से रह रहे बांग्लादेशियों के मामले में कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करके उन्हें भारत में रहने की अनुमति दे।

जुनेद क़ाज़ी ने कहा कि सरकार को चाहिए कि जिन 40 लाख लोगों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं हैं, उनके आपराधिक रिकॉर्ड की जांच कराये। यदि उनका को आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है तो सरकार को उन्हें भारत में रहने देने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत की सर्वोच्च अदालत सुप्रीमकोर्ट को संज्ञान लेते हुए सरकार को निर्देशित करना चाहिए।

अमेरिका का उदाहरण देते हुए जुनेद क़ाज़ी ने कहा कि भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने शरणार्थियों को अमेरिका में पनाह देने के मामले में दरियादिली नहीं दिखाई हो लेकिन अमेरिका में रह रहे अन्य देशो के नागरिको को अमेरिकी नागरिक की तरह ही सरकार की तरफ से पूरी सुविधाएँ मिलती हैं।

उन्होंने केंद्र सरकार और राजनैतिक दलों से अपील की कि एनआरसी के ड्राफ्ट में शामिल न किये गए 40 लाख लोगों के नाम के मामले को हिन्दू मुस्लिम न बनायें, क्यों कि इन 40 लाख लोगों में करीब 16 लाख लोग गैर मुस्लिम हैं।

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) की नई रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017 में शरण के लिए सबसे ज्यादा आवेदन अमेरिका के लिए ही मिले हैं। एजेंसी द्वारा जारी सालाना ग्लोबल ट्रेंड्स रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 6.85 करोड़ लोग विस्थापित हुए हैं। इनमें से करीब 1.62 करोड़ लोग साल 2017 के दौरान ही विस्थापित हुए हैं।

वहीँ विश्वभर में 6.85 करोड़ से अधिक लोग अलग अलग देशो में शरणार्थी है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, साल 2017 के दौरान मेक्सिको के 26,100, चीन के 17,400, हैती के 8,600 और भारत के 7,400 लोगों ने अमेरिका में शरण के लिए आवेदन किया है। करीब 168 देशों के लोगों ने विभिन्न देशों में शरण के लिए आवेदन किया है।

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