एक हज़ार मुसलमानो में सिर्फ तीन महिलाएं ही पहनती हैं बुर्का, इस देश ने लगाई पाबन्दी
रीगा । लाताविया में महिलाओं के सार्वजनिक रूप से बुर्का पहनने पर रोक लगाने के कानून को मंजूरी दी गई है। हालांकि, पूरे देश में सिर्फ तीन महिलाएं ही बुर्के पहनने के लिए जानी जाती हैं। कानून पर अमल 2017 से हो सकता है।
एक ब्रिटिश दैनिक के अनुसार अधिकारियों का कहना है कि लातावियाई संस्कृति की रक्षा और आतंकवादियों को कपड़े के अंदर हथियार छिपाकर ले जाने से रोकने के लिए नया कानून जरूरी था। यह कदम फ्रांस में 2011 में सार्वजनिक स्थलों पर पूरा चेहरा ढंकने वाले नकाब पर लगाए गए इसी तरह के प्रतिबंध का अनुसरण है।
लाताविया के कानून मंत्री जिनतार रेजनेक्स ने कहा कि जिस कानून के वह 2017 में मूर्तरूप लेने की उम्मीद कर रहे हैं, उसका पारंपरिक नकाब पहनने वाली देश की महिलाओं की संख्या से कुछ खास लेना देना नहीं है। इसका अधिक ताल्लुक देश के मूल्यों का सम्मान सुरक्षित करने के लिए भावी प्रवासियों से है।
रेजनेक्स ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, “सांसदों का काम एहतियाती कदम उठाना है। हम लोग न केवल लातावियाई सांस्कृतिक-ऐतिहासिक मूल्यों की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि यूरोप के सांस्कृतिक-ऐतिहासिक मूल्यों की रक्षा कर रहे हैं।”
केवल 20 लाख की अबादी वाला लाताविया शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए यूरोपीय संघ के प्रयासों के तहत अगले दो वर्षो में 700 शरणार्थियों को स्वीकार करने को राजी हुआ है। इस सप्ताह फ्रांस के प्रधानमंत्री मैनुएल वाल्स ने विश्वविद्यालयों में हर तरह के इस्लामी हिजाब पर रोक लगाने की योजना की घोषणा की थी। इससे वहां आक्रोश फूट पड़ा था।
महिला संगठनों ने पेरिस के राजनीतिक विज्ञान संस्थान में ‘नकाब दिवस’ मनाकर इस योजना का विरोध किया था। प्रदर्शनकारियों द्वारा बांटे गए नकाब पहनकर दर्जनों छात्राओं ने मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव को उजागर किया था। ऐसा माना जा रहा है कि लातविया में करीब 1000 मुसलमान हैं।
प्रस्तावित प्रतिबंध के बारे में टिप्पणी करते हुए लाताविया की पूर्व राष्ट्रपति वेएरा वाइक-फ्रीबेरगा ने कहा कि ‘आतंकवाद के इस समय में’ जो महिलाएं बुर्का या नकाब पहनती हैं वे ‘समाज के लिए खतरा उत्पन्न’ करती हैं। उन्होंने कहा, “कोई भी व्यक्ति बुर्का या नकाब में हो सकता है। पर्दे की आड़ में रॉकेट लांचर छिपाकर भी ले जाया जा सकता है। यह मजाक नहीं है।”