एक तरफ सुरक्षा परिषद की बैठक, दूसरी तरफ कश्मीर पर इमरान ने की डोनाल्ड ट्रंप से बात
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने को लेकर आज बंद कमरे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक हुई। इस बैठक के बाद भारत ने पाकिस्तान से शुक्रवार को कहा कि उसे वार्ता आरंभ करने के लिए आतंकवाद रोकना होगा।
चीन और पाकिस्तान के अनुरोध पर अनौपचारिक बैठक पूरी होने के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने मीडिया से कहा कि भारत का रुख यही था और है कि संविधान के अनुच्छेद 370 संबंधी मामला पूर्णतय: भारत का आतंरिक मामला है और इसका कोई बाह्य असर नहीं है।
उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ लोग कश्मीर में स्थिति को ‘भयावह नजरिए” से दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, जो वास्तविकता से बहुत दूर है।
वहीँ दूसरी तरफ बैठक के बाद पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने बैठक के बाद कहा कि बैठक में ‘कश्मीर के लोगों की आवाज सुनी’ गई। लोधी ने कहा कि यह बैठक होना इस बात का ‘सबूत है कि इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना गया’ है।
बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जुन ने भारत और पाकिस्तान से अपने मतभेद शांतिपूर्वक सुलझाने और ‘एक दूसरे को नुकसान पहुंचा कर फायदा उठाने की सोच त्यागने’ की अपील की।
कश्मीर मुद्दे पर इमरान खान ने की ट्रंप से बातचीत :
वहीँ दूसरी तरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर करीब 20 मिनट तक कश्मीर और अफगानिस्तान मुद्दे पर चर्चा की है।
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के बारे में विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति को विश्वास में लिया। प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर में हाल के घटनाक्रमों और क्षेत्रीय शांति के लिए पाकिस्तान की चिंता से अवगत कराया।
विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण में बातचीत हुई। उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर संपर्क में बने रहने पर भी सहमति व्यक्त की।
विदेश मंत्री कुरैशी ने कहा कि पीएम ने अफगानिस्तान की स्थिति पर भी चर्चा की। प्रधान मंत्री खान ने कहा कि पाकिस्तान “अफगानिस्तान में शांति लाने के लिए रचनात्मक भूमिका निभा रहा है। पाकिस्तान ने पूर्व में प्रयास किए और भविष्य में भी ऐसा करेगा।”
इससे पहले पाकिस्तान के कहने पर ही चीन ने ये मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया। चीन के आग्रह पर ही यूएनएससी की एक बंद कमरे में रही बैठक में शुक्रवार को इस मुद्दे पर चर्चा हुई। बैठक केवल पांच स्थायी सदस्यों और 10 गैर-स्थायी सदस्यों के लिए ही थी।