उत्तर प्रदेश बीजेपी के आंतरिक सर्वे में आयीं सिर्फ इतनी सीटें, पार्टी में खलबली
लखनऊ ब्यूरो। उत्तर प्रदेश को लेकर बीजेपी द्वारा कराये गए आंतरिक सर्वे की रिपोर्ट से पार्टी नेताओं की नींद उड़ गयी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने यह सर्वे 27 जनवरी से 02 फरवरी के बीच कराया था। इसलिए माना जा रहा है कि यह सर्वे कराये जाने के पीछे अहम वजह सपा बसपा गठबंधन और प्रियंका गांधी के सक्रीय राजनीति में आना अहम वजह हो सकती हैं।
पार्टी सूत्रों की माने तो आंतरिक सर्वे की रिपोर्ट से पार्टी आलाकमान की नींद उड़ गयी है। सूत्रों ने कहा कि सर्वे में खुलासा हुआ है कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से पार्टी को 7 से 10 सीटें तक ही मिल सकती हैं। सूत्रों की माने तो सर्वे में सामने आया है कि बीजेपी द्वारा 2014 में जीती गयीं अहम सीटें पार्टी के हाथ से जाती दिख रही हैं।
सूत्रों के मुताबिक सपा बसपा गठबंधन से सीधे तौर पर बीजेपी को बड़ा नुक्सान हो रहा है। वहीँ प्रियंका के राजनीति ने आने से कई लोकसभा सीटों पर पार्टी पिछड़ती दिखाई दे रही है। सूत्रों की माने तो सर्वे में आमने आया है कि सपा बसपा गठबंधन के बाद उत्तर प्रदेश में जातिगत आंकड़े बीजेपी के पक्ष में नहीं रहे हैं। वहीँ कभी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी से जुड़ा कांग्रेस का परम्परागत मतदाता का रुझान एक बार फिर कांग्रेस की तरफ हो रहा है।
क्या इस सर्वे को लेकर पार्टी की कोई अहम बैठक हुई है ? इस सवाल के जबाव में सूत्रों ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को प्रेषित की गयी थी, इस रिपोर्ट पर शाह जल्द कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि सर्वे में बीजेपी की दुर्गति की खबर के बाद अब सम्भव है कि प्रदेश में बीजेपी नेतृत्व परिवर्तन कर किसी बड़े चेहरे को प्रदेश बीजेपी की कमान सौंप सकती है अथवा मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ को रिप्लेस कर उनकी जगह किसी बड़े चेहरे को भी दिल्ली से यूपी भेजा जा सकता है।
सूत्रों ने कहा कि सर्वे में बीजेपी को पूर्व से पश्चिम तक बड़ा नुकसान होने की सम्भावना जताई गयी है। सूत्रों ने कहा कि सपा बसपा गठबंधन और प्रियंका गांधी फेक्टर को छोड़ भी दिया जाए तो भी राम मंदिर मुद्दा, बेरोज़गारी जैसे अहम मुद्दों पर मतदाताओं की राय बीजेपी के पक्ष में नहीं हैं।
सूत्रों ने कहा कि यह सर्वे 80 लोकसभा क्षेत्रो के करीब पौने चार लाख मतदाताओं से पूछे गए सवालो के आधार पर तय किया गया है। इसमें सामने आया है कि प्रदेश में बीजेपी की विश्वसनीयता में लगातार कमी आ रही है। मध्यम वर्ग और बीजेपी का कोर वोटर कहे जाने वाले पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का बीजेपी से मोह भंग हुआ है। वहीँ कभी बीजेपी का परम्परागत मतदाता माने जाने वाले छोटे और मध्यम कारोबारी भी अब 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह एकतरफा बीजेपी के साथ नहीं हैं।
सूत्रों ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट में प्रदेश में 18 से 21 वर्ष की उम्र वाले के नए मतदाताओं का रुख भी पार्टी के लिए राहत पहुंचाने वाला नहीं है। कुछ लोकसभा क्षेत्रो में सांसदों के कामकाज की रिपोर्ट बेहद खराब होने के चलते वहां के मतदाताओं का बीजेपी से मोह भंग हुआ है। कुल मिलाकर आंतरिक सर्वे की रिपोर्ट बीजेपी में बेचैनी पैदा करने वाली है।