ईवीएम को लेकर आरपार की लड़ाई लड़ सकता है विपक्ष

ईवीएम को लेकर आरपार की लड़ाई लड़ सकता है विपक्ष

नई दिल्ली(राजाज़ैद)। लोकसभा चुनावो के परिणाम आने के बाद, अब विपक्ष की नज़रें इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावो पर लगी रहेंगी। इस वर्ष महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और सिक्किम में विधानसभा चुनाव होने हैं। वहीँ उम्मीद की जा रही है कि देश की नई सरकार जम्मू कश्मीर से राष्ट्रपति शासन हटाकर वहां भी इसी वर्ष विधानसभा चुनाव करा सकती है।

2014 के लोकसभा चुनाव के बाद ईवीएम को लेकर उठे सवालो पर चुनाव आयोग के जबाव से असंतुष्ट विपक्ष कई बार अपनी मांगे लेकर चुनाव आयोग के पास गया लेकिन हर बार खाली हाथ वापस आया। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद ही विपक्ष ने ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराये जाने की मांग उठाई थी लेकिन बैलेट पेपर से चुनाव कराये जाने की मांग को लेकर शुरुआत में विपक्ष एकजुट नहीं था।

चुनाव आयोग ने भी ईवीएम को लेकर विपक्ष द्वारा लगाए गये सभी आरोपों को ख़ारिज कर दिया। चुनाव आयोग का दावा है कि ईवीएम फुलप्रूफ है और इसे न तो हैक किया जा सकता है और न ही इससे कोई छेड़खानी सम्भव है। चुनाव आयोग का दावा है कि ईवीएम से छेड़खानी की कोशिश के बाद यह फ़ैक्ट्रीमोड पर चली जाती है, और इसमें स्टोर डेटा से कोई छेड़छाड़ संभव नहीं है।

चुनाव आयोग के दावे पर दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी ने एक डेमो भी दिया। इस डेमो में ईवीएम से कैसे छेड़छाड़ हो सकती है यह बताने की कोशिश की गयी थी। इस पर चुनाव आयोग ने ईवीएम हैक कर दिखाने का चेलेंज भी रखा लेकिन इस चेलेंज में भाग लेने सिर्फ वामपंथी और कुछ छोटे दल के लोग ही पहुंचे।

इस सब के बावजूद ईवीएम को लेकर विपक्ष का सवाल जस का तस बना रहा। 2014 से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हुए। उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद विपक्ष ने एक बार फिर ईवीएम की जगह बैलेट पेपर की मांग को उठाया।

ईवीएम को लेकर पैदा हुआ संदेह विपक्ष के बीच लगातार बढ़ता रहा और 2018 में ईवीएम के मुद्दे पर विपक्ष एकजुट दिखने लगा। ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराये जाने की मांग पर चुनाव आयोग ने आम चुनावो में समय कम रहने की वाध्यता का हवाला देते हुए इस मांग को ख़ारिज कर दिया।

इतना ही नहीं ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराये जाने की मांग से जुडी याचिका भी सुप्रीमकोर्ट में ख़ारिज हो गयी। इसके बाद विपक्ष ने वीवीपैट मशीनों को लेकर चुनाव आयोग पर दबाव बनाना शुरू किया। विपक्ष ने चुनाव आयोग के समक्ष हर लोकसभा सीट में सौ फीसदी वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान करने की मांग रखी लेकिन चुनाव आयोग ने इसे यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि ऐसा करने से चुनाव परिणाम आने में देरी होगी।

अन्ततं चुनाव आयोग इस बात के लिए राजी हुआ कि हर लोकसभा सीट पर पांच बूथों की वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से मिलान किया जाएगा। लेकिन इससे भी बात नहीं बन रही। विपक्ष की शंका ईवीएम को लेकर है, वीवीपैट को लेकर नहीं है।

2019 के लोकसभा चुनावो के दौरान कई जगह ईवीएम को लेकर शिकायतें सामने आयीं। कहीं ईवीएम के ख़राब होने, कहीं बटन दबाने पर दूसरी पार्टी को वोट जाने तो कहीं ईवीएम का बटन जबरन दबाने के आरोप सामने आये। पूरे चुनाव में चुनाव आयोग ने यह स्वीकार ही नहीं किया कि कहीं ईवीएम में कोई खराबी सामने आयी है। ज़ाहिर है चुनाव आयोग विपक्ष को किसी तरह चुनावो तक टालना चाहता था और ऐसा हुआ भी।

लोकसभा चुनाव के दौरान भी विपक्ष ने ईवीएम से जुड़े सवालो को लेकर चुनाव आयोग का रुख किया लेकिन चुनाव आयोग ने वहीँ टालमटोल दिखाई, जैसे चुनाव आयोग पहले से ही तय करके बैठा हो कि ईवीएम मामले में कुछ करना ही नहीं है।

Generic Image

अब चूँकि लोकसभा चुनावो के परिणाम भी आ चुके है। इस वर्ष कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है। ऐसे में अब कयास लगाए जा रहे हैं कि विपक्ष एक बार फिर ईवीएम को लेकर नए सिरे से मोर्चा खोलेगा। चूँकि अभी अगले आम चुनावो में पूरे पांच वर्ष का समय बाकी है इसलिए चुनाव आयोग समय अभाव की मज़बूरी भी नहीं दिखा सकता। इसलिए ईवीएम के मामले में विपक्ष आरपार की लड़ाई लड़ सकता है।

लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद इस बार भी सबसे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने ईवीएम को लेकर सवाल उठाये हैं लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही विपक्ष ईवीएम के मुद्दे पर चुनाव आयोग की घेराबंदी कर सकती है।

क्यों है ईवीएम को लेकर सवाल:

2014 और 2019 में जिस तरह के परिणाम आये हैं, विपक्ष उनसे संतुष्ट नहीं है। ईवीएम को लेकर विपक्ष का संदेह और गहराता जा रहा है। अहम कारण है कि दुनिया के कई देशो ने ईवीएम में पारदर्शिता का अभाव बताकर चुनावो में ईवीएम की जगह बैलेट पेपर का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

ईवीएम के इस्तेमाल के बावजूद चुनाव में कई जगह बटन दबाने पर अन्य पार्टी को वोट जाने की शिकायतें भी सामने आयी है। हालाँकि चुनाव आयोग इन शिकायतों से पल्ला झाड़ता रहा है।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital