इस मामले में पाक से पिछड़ रहा भारत

नई दिल्ली । शहरी विकास और मानव बस्तियों पर तीसरी संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में विभिन्न देशों द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं की समीक्षा में भारत की स्थिति बहुत खराब बताई गई है। इस समीक्षा में बताया गया है कि पिछले 20 सालों से भारत ने शहरी विकास सूचकांक पर कोई सुधार दर्ज नहीं किया गया है।

तीसरी हैबिटेट प्रतिबद्धता सूचकांक की हाल में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की स्थिति अन्य दक्षिण एशियाई देशों से काफी खराब है। दरअसल 1996 में इंस्तानबुल में हैबिटेट प्रतिबद्धता सूचकांक द्वितीय जारी किया गया तभी से यह उन देशों के प्रदर्शन को ट्रैक कर रहा है जो इस सूचकांकक के अनुरूप कार्य करने को प्रतिबद्ध हुए थे। इस सूचकांक में भारत की स्थिति पाकिस्तान, नेपाल से भी खराब है।

इंडियन एक्सप्रेस में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दोनों देशों ने पिछले दो दशकों में दो अंक की बढ़त दर्ज की है। वहीं दूसरी तरफ भारत एचसीआई पैमाने पर 0.41 अंक फिसला है। जबकि दक्षिण एशिया का औसत 1.26 है। अन्य सभी संकेतकों में भी भारत ने शहरी बुनियादी ढांचे और संस्थागत क्षमता में नकारात्मक अंक दर्ज किए हैं। हालांकि गरीबी पैमाने पर मामूली बढ़त दर्ज जरूर की है।

भारत ने “मानव बस्तियों की योजना बनाने और निर्णय लेने में महिलाओं की पूर्ण और समान भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए नीतियों” में भी सुधार किया है। इसी साल अक्टूबर में क्वेटो में हैबिटेट III की नई शहरी विकास कार्यसूची जारी की जाएगी। संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश नए शहरी विकास एजेंडे पर सहमति देंगे। आपको बता दें कि एचसीआई एक सूचकांक है जो आवास के द्वितीय एजेंडे अर्थात् इंफ्रास्ट्रक्चर, गरीबी, रोजगार, स्थिरता, संस्थागत क्षमता, और लिंग असमानता सहित 6 गंभीर मुद्दों पर कार्य करता है।

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TeamDigital