इन मुद्दों से डर रही सरकार, गुजरात में मतदान के बाद होगा शीतकालीन सत्र !
नई दिल्ली। शीतकालीन सत्र को टालने के पीछे अहम कारण गुजरात चुनाव हो सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अधिकांश बीजेपी नेताओं की राय है कि शीतकालीन सत्र को 15 दिसंबर से शुरू किया जा सकता है।
गुजरात में दूसरे और अंतिम चरण का मतदान 14 दिसंबर को होना है। इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार गुजरात चुनावो के कारण शीतकालीन सत्र को टाल रही है।
सूत्रों ने कहा कि राफेल विमान सौदे और देश की अर्थ व्यवस्था पर घिरी मोदी सरकार गुजरात चुनाव में कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी नेताओं का मानना है कि शीतकालीन सत्र में राफेल सौदा और अर्थव्यवस्था को लेकर विपक्ष पूरे होमवर्क के साथ सरकार पर हमले करेगा जिसका सन्देश गुजरात चुनावो तक जा सकता है।
वहीँ कांग्रेस ने राफेल विमान सौदे और देश की अर्थव्यवस्था को लेकर आर्थिक आंकड़ों से सरकार की छेड़छाड़ का मामला गुजरात चुनाव में उठाने की तैयारी है। कांग्रेस ने तय किया है कि वह पार्टी के वरिष्ठ नेता डा मनमोहन सिंह और पी चिदंबरम को गुजरात भेजकर कई प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर जनता के सामने हकीकत पेश करेगी।
सूत्रों की माने तो सरकार की दूसरी मुश्किल दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़ों को लेकर है जो आमतौर पर दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़ें 1 नवंबर तक जारी हो जाने चाहिए थे। लेकिन सरकार ने अभी तक इन पर पर्दा डाल रखा है जिससे इसका असर गुजरात के चुनावो पर न पड़े।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा इस मामले को उठाया है। उन्होंने कहा कि कि केन्द्र सरकार चुनावों के मद्देनजर आर्थिक आंकड़ों के साथ खिलवाड़ कर रही है। एक बड़ा सवाल यह भी है कि यदि दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े अच्छे होते तो सरकार अब तक इससे पर्दा उठा चुकी होती।
फिलहाल इतना तय माना जा रहा है कि शीतकालीन सत्र हंगामेदार होगा। विपक्ष राफेल सौदे और आर्थिक आंकड़ों को लेकर सरकार को संसद से सड़क तक घेरने की पूरी कोशिश जारी रखेगा।