आसान नहीं तीन तलाक पर कानून, राज्य सभा में सरकार के पास बहुमत का टोटा
नई दिल्ली। तीन तलाक पर सरकार द्वारा प्रस्तावित कानून को लेकर भले ही लोकसभा में विधेयक पास हो गया हो लेकिन इस विधेयक को कानून का अमली जामा पहनाना आसान नहीं होगा।
अहम वजह है कि इस विधेयक को लोकसभा के बाद राज्य सभा में भी पेश किया जाएगा और इसका राज्य सभा में भी पास होना आवश्यक है। राज्य सभा में एनडीए के पास बहुमत का टोटा है। बिना बहुमत ये विधेयक सरकार की मंशा के अनुरूप पास होना मुमकिन नहीं। ऐसे में विपक्ष की जीत तय मानी जा रही है।
तीन तलाक विधेयक पर विपक्ष चाहता है कि इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाए। इस समिति को सेलेक्ट कमेटी कहते हैं। राज्यसभा के कार्य करने के नियम संख्या 125 के मुताबिक यदि कोई सदस्य एक प्रस्ताव लाता है तो बहुमत के आधार पर ही उसे पारित किया जा सकता है।
इससे पहले सरकार पिछले साल दिसंबर महीने में भी बिल लाई थी, जो राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के कारण अटक गया था। विपक्ष की नाराजगी को दूर करने के लिए सरकार ने इस साल सितंबर में विपक्ष के कुछ सुझावों को शामिल करते हुए अध्यादेश जारी किया था। अब वर्तमान का संशोधित ट्रिपल तलाक विधेयक, अध्यादेश और पुराने बिल की जगह लाया गया है।
इस विधेयक पर लोकसभा में कांग्रेस, टीडीपी, राजद, टीएमसी, वाम दल, आप, सपा, और बीजू जनता दल ने वॉकआउट किया। और इस विधेयक को लेकर राज्य सभा में भी विपक्ष अपना विरोध जारी रखेगा। ऐसे में बहुमत न होने के चलते सरकार को मजबूरीवश इस विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजना पड़ेगा।
इतना ही नहीं कल व्हिप के बावजूद लोकसभा में बीजेपी के 30 सांसद गैर हाज़िर रहे। पार्टी इस बात की जानकारी जुटा रही है कि व्हिप जारी होने के बावजूद बड़ी तादाद में सांसद लोकसभा से नदारद क्यों रहे।