अयोध्या विवाद: नियमित सुनवाई के तीसरे दिन भी सुप्रीमकोर्ट में जजों ने पूछे तीखे सवाल

अयोध्या विवाद: नियमित सुनवाई के तीसरे दिन भी सुप्रीमकोर्ट में जजों ने पूछे तीखे सवाल

नई दिल्ली। अयोध्या विवादित भूमि की नियमित सुनवाई के तीसरे दिन भी सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई जारी रही। बुधवार को निर्मोही अखाड़ा की दलीलें खत्म होने के बाद गुरूवार को रामलला के वकीलों ने अपनी बात रखनी शुरू की।

सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को भी राम मंदिर मामले की सुनवाई होगी। परंपरा के मुताबिक, रोजाना सुनवाई के तहत मंगल-बुध-गुरुवार को ही सुनवाई होती है लेकिन सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर शुक्रवार के काम की जो लिस्ट है उसमें रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की सुनवाई मेंशन है।

रामलला की तरफ से पेश वकील परासरण ने इस दौरान राम मंदिर के निर्माण को हिंदुओं की भावनाओं से जुड़ा मामला बताया और कहा कि अदालत को इस पर फैसला लेना चाहिए। इस दौरान परासरण ने वाल्मीकि रामायण, महाभारत, पुराण समेत पौराणिक तथ्यों का जिक्र भी किया।

इससे पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से राजीव धवन ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा-वक्फ बोर्ड ने अलग-अलग सूट दाखिल किए गए हैं, अगर उनकी बात सुनी गई है तो हमारी भी सुनी जानी चाहिए।

रामलला के वकील ने अदालत को बताया कि कोर्ट ने रामजन्मभूमि को मुद्दई मानने से इनकार कर दिया था, इसलिए रामलला को पक्षकार बनना पड़ा। क्योंकि रामलला नाबालिग हैं, इसलिए उनके दोस्त मुकदमा लड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पहले देवकीनंदन अग्रवाल ने ये मुकदमा लड़ा, अब त्रिलोकीनाथ पांडेय लड़ रहे हैं।

सुनवाई के दौरान रामलला के वकील के. परासरण ने कहा कि जन्मस्थान को लेकर सटीक स्थान की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आसपास के क्षेत्रों में भी इसका मतलब हो सकता है। उन्होंने कहा कि हिंदू और मुस्लिम पक्ष दोनों ही विवादित क्षेत्र को जन्मस्थान कहते हैं। इसलिए इसमें कोई विवाद नहीं है कि ये भगवान राम का जन्मस्थान है।

उन्होंने कहा कि रामलला को इस मुकदमे में पक्षकार तब बनाया गया जब मजिस्ट्रेट ने सीआरपीसी की धारा 145 के तहत इनकी सम्पत्ति अटैच कर दी थी। इसके बाद सिविल कोर्ट ने वहां कुछ भी करने से रोक लगा दी।

जस्टिस भूषण ने इस दौरान रामलला के वकील से पूछा कि क्या जन्मस्थान को व्यक्ति माना जा सकता है, जिस तरह उत्तराखंड की हाईकोर्ट ने गंगा को व्यक्ति माना था। इस पर परासरण ने कहा कि हां, रामजन्मभूमि व्यक्ति हो सकता है और रामलला भी. क्योंकि वो एक मूर्ति नहीं, बल्कि एक देवता हैं। हम उन्हें सजीव मानते हैं।

रामलला के वकील के. परासरण ने कहा कि देवता की उपस्थिति एक न्यायिक व्यक्ति होने के परीक्षण की एकमात्र कसौटी नहीं है। उन्होंने बताया कि नदियों की पूजा की जाती है, ऋग्वेद के अनुसार सूर्य एक देवता है. सूर्य एक मूर्ति नहीं है, लेकिन वह सर्वकालिक देवता हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि सूर्य एक न्यायिक व्यक्ति हैं।

रामलला के वकील ने बताया कि हाईकोर्ट ने जारी निर्मोही अखाड़ा के सूट नंबर 3 और मुस्लिम पक्ष के सूट नंबर 4 को खारिज कर दिया था। जिसके बाद 2.77 एकड़ जमीन पर फैसला होना है, किसी ने भी बंटवारे की मांग नहीं की है।

इससे पहले कल सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और अन्य जजों की बेंच ने वकीलों से सीधे सवाल पूछे। जब रामलला के वकीलों की तरफ से भावनाओं का जिक्र किया गया तो जस्टिस बोबड़े ने पूछा था कि क्या कभी ऐसा दूसरे देशों में हुआ है कि दो समुदाय धार्मिक स्थल को लेकर आमने-सामने हो।

इसके अलावा उनका एक सवाल था कि क्या जीसस क्राइस्ट बेथलहम में पैदा हुए थे? इतना ही नहीं चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने निर्मोही अखाड़ा से रामजन्मभूमि से जुड़े सबूतों को पेश करने को कहा था।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital