अयोध्या विवाद: इस अहम पहलू पर इस सप्ताह आ सकता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर- बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े एक पहलू पर 28 सितंबर को फैसला आ सकता है। विवादित ज़मीन से जुड़े एक अहम पहलू कि “मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं” इस मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाए या नहीं। इस पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। अब इसे लेकर फैसला आना है।
हालाँकि अयोध्या में विवादित ज़मीन के मालिकाना हक को लेकर अभी सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई चल रही है। अभी इस मामले में आगे सुनवाई होना बाकी है।
गौरतलब है कि 1994 में इस्माइल फारुकी के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने फैसला दिया था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। इसके साथ ही राम जन्मभूमि में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया गया था ताकि हिंदू धर्म के लोग वहां पूजा कर सकें।
अब कोर्ट इस बात पर विचार करेगा कि इस निर्णय की समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है या नहीं। मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि इस फैसले पर दोबारा परीक्षण किए जाने की जरूरत है। यही वजह है कि अब अदालत इस बात पर फैसला करेगी कि फैसले को दोबारा देखने के लिए संवैधानिक पीठ के पास भेजा जाना चाहिए या नहीं।
इससे पहले 30 सितंबर 2010 को जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस एस यू खान और जस्टिस डी वी शर्मा की बेंच ने अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुनाया था। अपने आदेश में बेंच ने 2.77 एकड़ की विवादित भूमि के तीन बराबर हिस्सा किए थे।
कोर्ट ने राम मूर्ति वाले पहले हिस्से में राम लला को विराजमान कर दिया गया। राम चबूतरा और सीता रसोई वाले दूसरे हिस्से को निर्मोही अखाड़े को दिया गया और बाकी बचे हुए हिस्से को सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया था।