अयोध्या मामला: मध्यस्थता की कोशिशें हुईं बेकार, अब 6 अगस्त से होगी नियमित सुनवाई

अयोध्या मामला: मध्यस्थता की कोशिशें हुईं बेकार, अब 6 अगस्त से होगी नियमित सुनवाई

नई दिल्ली। अयोध्या मामले में सुप्रीमकोर्ट 06 अगस्त से नियमित सुनवाई शुरू करेगा। इससे पहले अयोध्या विवाद के हल के लिए बनाये गए मध्यस्थता पैनल द्वारा आपसी बातचीत से हल निकालने की कोशिशें नाकाम होने के बाद सुप्रीमकोर्ट ने नियमित सुनवाई करने का एलान किया है।

अयोध्या मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए गठित मध्यस्थता पैनल गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सील बंद लिफाफे में अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी जिसके बाद आज उसपर सुनवाई हुई।

इस दौरान सीजेआई रंजन गगोई की अध्यक्षता वाली बैंच ने कहा है कि इस मामले पर अब रोजाना सुनवाई होगी। यह नियमित सुनवाई तब तक होगी जब तक कोई फैसला न आ जाए। 6 अगस्त से यह नियमित सुनवाई शुरू होगी।

अदालत ने कहा कि मध्यस्थता कमेटी कामयाब नहीं हो पाई। मंदिर विवाद पर हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच आम सहमति बनाने के लिए अयोध्या मध्यस्थता पैनल को 31 जुलाई तक का समय दिया गया था। इस मामले की सुनवाई कर रहे संवैधानिक पीठ से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि इस मामले से संबंधित हस्तक्षेप और रिट पिटीशन के मामले लंबित हैं।

मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि हम इस मामले पर विभिन्न पहलुओं पर गौर करेंगे। पहले मामले की सुनवाई शुरू होने दीजिए। मामले की सुनवाई के दौन भारतीय जनता पार्टी के नेता और वरिष्ठ वकील सुब्रमण्यम स्वामी भी मौजूद रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सभी वकील अपने-अपने मामलों से संबंधित दस्तावेज तैयार कर लें जिन्हें आधार बनाकर वे बहस करेंगे। जिससे इस मामले से संबंधित दस्तावेजों की रजिस्ट्री पूरी कराई जा सके।

जिसके बाद पैनल ने एक सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट पेश की थी। पिछली सुनवाई में अदालत ने कहा था कि उसे तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल की एक रिपोर्ट मिली है, जिसकी अध्यक्षता शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफ. एम. आई. कलीफुल्ला कर रहे हैं। पैनल के अन्य दो सदस्य आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू हैं।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को इस मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए मध्यस्थता समिति बनाई थी। समिति में पूर्व जस्टिस एफएम कलिफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, सीनियर वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं।

मई में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस.अब्दुल नजीर की बेंच ने मध्यस्थता समिति को इस मामले को सुलझाने के लिए 15 अगस्त तक का समय दिया था। बेंच ने सदस्यों को निर्देशित किया था कि आठ हफ्तों में मामले का हल निकालें। पूरी बातचीत कैमरे के सामने हो।

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TeamDigital