अमित शाह को भारी पड़ सकती है सुप्रीमकोर्ट के फैसले के खिलाफ लोगों को भड़काने की कोशिश

अमित शाह को भारी पड़ सकती है सुप्रीमकोर्ट के फैसले के खिलाफ लोगों को भड़काने की कोशिश

नई दिल्ली। केरल के कुन्नूर में बीजेपी कार्यालय का उद्घाटन करने पहुंचे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सबरीमाला के अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीमकोर्ट के फैसले पर कथित टिप्पणी की थी।

अमित शाह ने सबरीमाला के अयप्पा मंदिर में महिलों के प्रवेश को लेकर जो कुछ कहा यदि उसे कानून और अदालतों की नज़रो से देखा जाए तो यह सरासर देश की सर्वोच्च अदालत के निर्णय को अहमियत न देना है।

अमित शाह ने माहवारी आयुवर्ग की महिलाओं को अयप्पा मंदिर में प्रवेश देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे श्रद्धालुओं का समर्थन किया। अमित शाह यहीं नहीं रुके उन्होंने अदालतों को सलाह भी दे डाली। शाह ने कहा कि अदालतें इस तरह के फ़ैसले ना दें जो व्यवहारिक ना हों।

उन्होंने अपने टिप्पणी को सही साबित करने के लिए तमिलनाडु में सांडों को काबू में करने वाले खेल जलीकट्टू और मस्जिदों में लाउडस्पीकर के प्रयोग पर रोक लगाने संबंध सुप्रीम कोर्ट के ऐसे फैसलों के उदाहरण दिए, जिन्हें लागू नहीं किया जा सका।

गौरतलब है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का बयान सुप्रीमकोर्ट के उस निर्णय के खिलाफ उकसाने वाला है , जिसमें स्वामी अयप्पा के सबरीमला मंदिर में 10 से 50 आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी गई है।

अमित शाह के बयान पर केरल के सीएम पिनरई विजयन ने ट्वीट करके कहा है कि अमित शाह ने कन्नूर में जो बयान दिया है वह सुप्रीम कोर्ट और संविधान पर हमला है। उनका (अमित शाह) जोर देकर कहना कि, कोर्ट को अपने आपको ऐसे आदेशों तक सीमित करना चाहिए जिन्हें अमल में लाया जा सके, बताता है कि वह संविधान द्वारा दिए गए मूल अधिकारों की रक्षा करने के प्रति कितने सजग हैं।

वहीँ अमित शाह के बयान पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि अमित शाह द्वारा सबरीमाला मामले पर उच्चतम न्यायालय के आदेश पर की गयी टिप्पणी की आज कड़ी निन्दा करते हुए कहा कि अदालत को इसका संज्ञान जरूर लेना चाहिये।

मायावती ने जारी बयान में कहा कि शाह का कल केरल के कन्नूर में उच्चतम न्यायालय को हिदायत देते हुये यह कहना अति-निन्दनीय है कि अदालत को ऐसे फैसले नहीं देने चाहिये, जिनका अनुपालन नहीं किया जा सके और न्यायालय को आस्था से जुड़े मामले में फैसला देने से बचना चाहिये । न्यायालय को इसका संज्ञान अवश्य लेना चाहिये।

जानकारों की माने तो यदि अमित शाह के कथित बयान को लेकर कोई कोर्ट पहुंचा तो अमित शाह को उनका बयान भारी पड़ सकता है। वे कानूनी उलझन में फंस सकते हैं। यहाँ तक कि उन्हें कोर्ट से माफ़ी भी मांगनी पड़ सकती है।

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TeamDigital