अदालती दखल रोकने की राह खोजेगा मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड
मुस्लिम पर्सनल बोर्ड पर्सनल लॉ में अदालती दखलंदाज़ी रोकने के लिए गहन मंथन कर रहा है । तलाक, निकाह और गुजारा भत्ता देने जैसे शरीयत कानून पर अदालतों का दखल बंद करने के लिए एक रणनीति तैयार की जा रही है ।
लखनऊ। तलाक और गुजारा-भत्ता जैसे मुस्लिम पसर्नल लॉ के मामलों पर अदालतों की नोटिस व दीन-दस्तूर पर दखल जैसे सवालों का हल तलाशने के लिए शनिवार को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मजलिस-ए-आमला (वर्किंग कमेटी) गहने मंथन करेगी। इसमें महत्वपूर्ण फैसले होने के आसार हैं।
मई 2015 के बाद शनिवार को नदवातुल उलमा में होने वाली इस इजलास में मुख्य रूप से पर्सनल लॉ में अदालतों का दखल बढ़ने व उसके कानूनी तरीकों से रोकने पर गौर होगा। सूत्रों का कहना है कि बोर्ड के कुछ सदस्य इस बात पर फिक्रमंद हैं कि एक साल से दीन-दस्तूर बचाओ तहरीक चलाने के बावजूद उसका व्यापक असर नहीं हो रहा है जबकि इसमें समाज के प्रबुद्ध वर्ग को भी साथ जोड़ा जा रहा है।
मुस्लिमों की दीगर दुश्वारियों व पर्सनल लॉ की हिफाजत पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात को लेकर अब तक कोई ठोस फैसला नहीं होने और “भारत माता की जय” के सवाल पर भी चर्चा होने के आसार हैं। हालांकि मुख्य रूप से शरई मसलों पर अदालती दखल, सायराबानो की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की नोटिस और हरियाणा का एक मसले पर अदालत का स्वतः संज्ञान ही चर्चा का केन्द्र बिन्दु रहेगा।
रिक्त चल रहेबोर्ड के महासचिव पद पर मौलाना वली रहमानी की ताजपोशी का फैसला किया जा सकता है जबकि सचिवों के रिक्त दो पदों से एक पर मुंबई हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता यूसुफ हातिम अथवा जफरयाब जिलानी को नामित किया जा सकता है। इस इजलास में असद उद्दीन ओवैसी के भी हिस्सा लेने के संकेत हैं।