अडानी ग्रुप की कंपनियों द्वारा करोडो रुपये की टेक्स चोरी मामले की जांच नहीं करेगी सरकार
नई दिल्ली। अडानी ग्रुप की कंपनियों द्वारा करोडो रुपये की टेक्स चोरी और हेराफेरी मामले की सरकार जांच नहीं करेगी। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने इस मामले में अडानी ग्रुप के खिलाफ चल रही कार्यवाही को रोक दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार डीआरआई के अतिरिक्त महानिदेशक के वी एस सिंह ने इससे संबंधित एक आदेश जारी कर अडाणी ग्रुप के खिलाफ चल रही जांच को रोकने का निर्देश दिया है।
बता दें कि अडानी ग्रुप पर बिजली और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आयात किए गए सामानों का कुल मूल्य बढ़ाकर 3974.12 करोड़ रुपये घोषित करने और उस पर शून्य या कम 5% से कम टैक्स देने के आरोप हैं।
इस संदर्भ में पिछले दिनों ब्रिटिश अख़बार द गार्जियन में अडानी ग्रुप की कंपनियों द्वारा टैक्स चोरी और फ़र्ज़ी बिल बनाकर हेरा फेरी करने की एक रिपोर्ट भी प्रकशित हुई थी। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी ग्रुप की कंपनियों ने टेक्स चोरी के ज़रिये 1500 करोड़ रुपये की हेराफेरी की है।
ब्रिटश अख़बार द गार्जियन ने डीआरआई के दस्तावेज के हवाले से कहा कि अडानी समूह ने महाराष्ट्र की एक बिजली परियोजना के लिए शून्य या बहुत कम ड्यूटी वाले सामानों का निर्यात किया और उनका दाम वास्तविक मूल्य से कई गुना बढ़ाकर दिखाया ताकि बैंकों से कर्ज में लिया गया पैसा विदेश भेजा सके।
अब खुलासा हुआ है कि राजस्व खुफिया निदेशालय के मुंबई क्षेत्राधिकार के एडीजी के वी एस सिंह ने 280 पन्नों के अपने रिपोर्ट में 22 अगस्त को लिखा है, “मैं विभाग के उस मामले से सहमत नहीं हूं। जिसमे कहा गया था कि एपीएमएल (अडानी पावर महाराष्ट्र लिमिटेड) और एपीआरएल (अडानी पावर राजस्थान लिमिटेड) ने अपनी संबंधित इकाई यानी ईआईएफ (इलेक्ट्रॉजन इन्फ्रा होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड) को कथित विवादित सामान आयातित मूल्य से अधिक अधिक मूल्य पर दिया है।”
वहीँ ब्रिटिश अख़बार के मुताबिक अडानी समूह ने दुबई की एक जाली कंपनी के माध्यम से अरबों रुपये का सामान महाराष्ट्र की एक बिजली परियोजना के लिए मंगाया और बाद में कंपनी ने वही सामान अडानी समूह को कई गुना ज्यादा कीमत पर बेच दिया। अडानी समूह ने इन सामान की कीमत बिल में औसतन चार गुना ज्यादा दिखायी थी।
अख़बार के अनुसार अडानी समूह ने दक्षिण कोरिया और दुबई की कंपनियों के माध्यम से मारीशस स्थित एक ट्रस्ट को पैसा पहुंचाया जिस पर अडानी समूह के सीईओ गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी का नियंत्रण है।