अटक सकता है अयोध्या में भूमि अधिग्रहण मामला, सुप्रीमकोर्ट में चुनौती
नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए हिन्दू संगठनो के दबाव के बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अयोध्या की गैर विवादित भूमि के अधिग्रहण करने के सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल की थी लेकिन अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है।
सरकार के भूमि अधिग्रहण के प्रस्ताव को सात लोगों ने याचिका दायर कर चुनौती दी है। इस याचिका में 1993 के केंद्रीय भूमि अधिग्रहण कानून की वैधता पर सवाल उठाया गया है। साथ ही मांग की गई है कि राज्य और केन्द्र सरकार विवादित जमीन पर पूजा करने में दख़लंदाजी न करे।
याचिका में दलील दी गयी है कि संसद राज्य की भूमि का अधिग्रहण करने के लिये कानून बनाने में सक्षम नहीं है। राज्य की सीमा के भीतर धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन के लिए कानून बनाने का अधिकार राज्य विधानमंडल के पास है।
याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 294 में साफ कहा गया है कि संविधान के लागू होने के बाद उत्तरप्रदेश में स्थित भूमि और संपत्तियां राज्य सरकार में निहित हो गई। जिसके चलते अयोध्या की भूमि और संपत्ति भी राज्य सरकार की संपत्ति है। केंद्र सरकार राज्य सरकार की किसी भूमि का अधिग्रहण नहीं कर सकती और न ही अयोध्या की भूमि और संपत्ति अधिग्रहीत की जा सकती है।
यानि कि राज्य सूची के विषयों की आड़ में केंद्र सरकार राज्य की भूमि अधिग्रहीत नहीं कर सकती।याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 1993 का कानून संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन करता है जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह ही केंद्र सरकार ने 67 एकड़ गैर-विवादित जमीन मूल मालिकों को लौटाने के लिए अर्जी दी थी। केंद्र सरकार ने इस अर्जी में कहा था कि जमीन का विवाद सिर्फ 0.313 एकड़ का है और बकाया गैर-विवादित जमीन को रामजन्मभूमि न्यास और अन्य लोगों को वापस करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंजूरी दी जाए। 1993 में केंद्र सरकार ने अयोध्या अधिग्रहण कानून तहत विवादित स्थल और आसपास की जमीन का अधिग्रहण कर लिया था ।