सांसद ने पूछा ‘भूखे हैं यूपी के शेर, क्या पालक पनीर खिलाएगी सरकार’

नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश में बूचड़खानों को सील किये जाने के सिलसिले के बीच चिड़याघरो में शेरो को चिकिन खिलाने का मुद्दा संसद में भी उठा। भूखे शेरो का मुद्दा उठाते हुए तृणमूल कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि भारत 28 हजार करोड़ रूपये मूल्य के मांस का निर्यात करता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के चिड़ियाघरों में शेर और बब्बर शेरों को मांस के बजाय चिकन खाने को दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रकृति की एक जैविक व्यवस्था है जिसमें सभी का जिंदा रहना जरूरी है लेकिन अभी कहा जा रहा है कि मांस का उपभोग बंद कर देंगे। चौधरी ने सरकार से सवाल किया, ‘‘क्या अब शेर और बब्बर शेरों को भी कहा जाएगा कि पालक पनीर खाकर रहो?’’ गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की सत्ता में आई भाजपा सरकार ने अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई शुरू की है। पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में अवैध बूचड़खानों पर रोक लगाने की बात कही थी।

इटावा लॉयन सफारी के शेरों को भी भैंसे के मांस के बजाय चिकन दिया जा रहा है। लेकिन शेर चिकन नहीं खा रहे हैं। यहां पर शेरों के तीन जोड़े हैं। दो दिन से उन्‍हें उनकी खुराक नहीं मिल रही है।

सफारी के अधिकारियों के अनुसार इन शेरों को रोजाना 8-10 भैंसों का मांस चाहिए होता है। चिकन और मटन में फैट कम होता है, इस वजह से इनकी खुराक शेरों को कम पड़ती है। बूचड़खानों पर कार्रवाई के बाद से लखनऊ चिडि़याघर के मांसाहारी जानवरों के खाने को लेकर भी समस्‍या खड़ी हो गई है। यहां पर सात बाघ, चार सफेद बाघ, आठ शेर, आठ पैंथर, 12 जंगली बिल्लियां, दो लकड़बग्‍घे, दो भेडि़ए और दो सियार हैं। इनके लिए रोजाना 235 किलो मांस चाहिए होता है।

इस जरुरत को पूरा करने के लिए अधिकारियों को चिकन और मटन का ही सहारा लेना पड़ रहा है। हालांकि यहां के जानवर यह मांस खा रहे हैं। लेकिन परेशानी की वजह कानपुर चिडि़याघर की गर्भवती शेरनी है। वह चिकन और मटन नहीं खा रही है। चिडि़याघर के अधिकारी शेरनी को लेकर चिंतित है। हालांकि सरकार की ओर से कहा गया है कि वैध बूचड़खानों से भैंसों का मांस मंगाया जाएगा।

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