संघ के मुखपत्र में सोनिया पर निशाना ‘सिग्नोरा तुम्हे आना होगा, गांधी से रिश्ता बताना होगा’
नई दिल्ली । अगस्तावेस्लैंड हेलीकाप्टर सौदे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थक पांचजन्य ने सवाल किया है कि इस मामले में रिश्वत देने वाले जेल में है तो रिश्वत लेने वाले कौन हैं ? यह सिग्नोरा है कौन ? एक अजब का झीना परदा पड़ा है जिसके पार जनता सब देख रही है, इसलिए सिग्नोरा तुम्हे आना होगा, गांधी से अपना रिश्ता बताना होगा ।
पांचजन्य के संपादकीय में कहा गया है, ‘‘इटली की अदालत से भारत को ठगने वालों की खबरें, राज्यसभा में कुछ अच्छे चेहरों की दस्तक देश की मुख्य विपक्षी पार्टी के घर को थर्रा रही है।’’ इसमें कहा गया है कि वक्त बदल चुका है, आज भारी भरकम सौदों में संदिग्ध लेनेदेन के लिए दलालों के कूटनाम से ज्यादा जटिल बच्चों के स्मार्टफोन के पासवर्ड और पैटर्न हो गए हैं।
संपादकीय में कहा गया है कि वैसे इतालवी में सिग्नोरा हिन्दी में श्रीमती सरीखा संबोधन है। लेकिन सिग्नोरा को घेरने घोटाले का भूत इटली से भारत चला आयेगा, यह किसी ने सोचा था क्या ? देश की सबसे बुजुर्ग पार्टी के लोगों का आग्रह है कि इसे किसी खास नाम से जोड़ने की भूल नहीं की जाए लेकिन भूल तो हल्ला की धूल उठने से पहले ही कोई कर चुका है।
पांचजन्य के अनुसार, ‘‘घूस देने वाला जेल में है तो घूस लेने वाला कौन है । अदालत जो जब करे, तब करे… जनता के सामने सिग्नोरा की यह पहेली पार्टी को समझानी है जिसके माथे इटली की यह आफत पड़ी है । सिग्नोरा के साथ भारतीय राजनीति के उस पुरखे का उपनाम भी विदेशी अदालत में उछला जिसके लिए भारतीय समाज की भावनाओं को भुनाया जाता रहा ।’’
इसमें दावा किया गया कि सात दशक के लोकतांत्रिक सफर में कुछ राजनीतिक दलों ने यह साबित कर दिया कि उनके लिए गांधी सिर्फ वोट हैं। लेकिन इटली की अदालत से पता चला कि सिग्नोरा के लिए गांधी सिर्फ नोट है। पांचजन्य में कहा गया है, ‘‘इटली में खुलते चिट्ठों में सिग्नोरा को हेलीकाप्टर सौदे में मुख्य कारक बताया गया है। उस समय कमान थामने वाले हाथ आज किसका चेहरा ढंकना चाहते हैं । यह सिग्नोरा है कौन ? एक अजब का झीना परदा पड़ा है जिसके पार जनता सब देख रही है । तुम पाले रहो भ्रम लेकिन हकीकत खुल चुकी है। इसलिए सिग्नोरा तुम्हे आना होगा, गांधी से अपना रिश्ता बताना होगा ।’’
संपादकीय में कहा गया है कि विस्फोटक खुलासे से आशंका और कयास लगने शुरू हो गए और आफत से घिरा एक राजनीतिक दल अपने आकाओं पर से ध्यान हटाने के लिए देशभर में दंगे करा सकता है । लोग इसके लिए तर्क दे रहे हैं और दंगों के इतिहास से उस दल का रिश्ता बता रहे हैं।
इसमें कहा गया है कि दाग और दादागिरी से उस दल का पुराना रिश्ता है। साल 2013 की दूसरी तिमाही में उस दल के भ्रष्टाचारी मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर करने की बजाए अभयदान की मु्रदा… देश की सबसे बड़ी पंचायत में दादागिरी की गुर्राहट का इतिहास रहा है। संपादकीय में कहा गया है, ‘‘डिजिटल मीडिया पर यह डर और आशंका है लेकिन इसे सिर्फ आशंकित लोगों का डिजिटल डर मानना गलत होगा । यह दुनिया के सबसे युवा देश की त्वरित, सटीक प्रतिक्रिया है ।’’