शौरी बोले ‘अहंकारी हैं मोदी, सरकार की दिशा भारत के लिए खतरनाक’

ArunShourie

नई दिल्ली । अरुण शौरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अहंकारी होने और एक व्यक्ति के प्रभुत्व वाली राष्ट्रपति प्रणाली की सरकार चलाने का आरोप लगाया और कहा कि ऐसी सरकार की दिशा भारत के लिए खतरनाक है।

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और हाल के वर्षों में भाजपा से दूर हो चुके शौरी ने मोदी सरकार को बिना किसी नियंत्रण वाली राष्ट्रपति प्रणाली की सरकार बताया और कहा कि उनकी अगुवाई में इस सरकार का रूख भारत के लिए अच्छी नहीं है।

इंडियान टुडे टीवी के टू द प्वाइंट कार्यक्रम में करण थापर के साथ 40 मिनट के साक्षात्कार में उन्होंने मोदी सरकार के दो साल के कार्यकाल का विश्लेषण किया और चेतावनी दी कि अगले तीन साल में उन्हें अरूचिकर आवाजों का गला घोंटने की प्रवृत्ति दिखने के अलावा नागरिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की और अधिक व्यवस्थित कोशिश एवं विकेंद्रीकत घौंसपट्टी में वृद्धि की आशंका नजर आती है।

चैनल की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार शौरी ने प्रधानमंत्री पर अहंकारी होने का आरोप लगाया और कहा कि वह बहुत हद तक आत्ममुग्ध हैं और उनमें असुरक्षा का बोध है। उन्होंने उन पर कपट करने (मैशियावेलिज्म) का भी आरोप लगाया जिसका तात्पर्य है कि वह अपने फायदे के लिए घटनाओं का दोहन करते हैं।

पहले भी मोदी की आलोचना कर चुके पूर्व मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री का लोगों के प्रति दृष्टिकोण उनका इस्तेमाल करो और फिर किनारे कर दो का है। वह लोगों को पेपर नेपकिन की तरह इस्तेमाल करते हैं और उन्हें उसका कोई अफसोस भी नहीं होता।

शौरी ने अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे पर चल रहे विवाद का भी जिक्र किया और कंपनी के दो पूर्व प्रमुखों गुइसेप्पी ओरसी और ब्रूनो स्पागोलिनी के इतालवी अदालत से बरी होने के खिलाफ अपील नहीं करने को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की।

उनके अनुसार इतालवी अपीलीय अदालत का यह कहना कि इस मामले में उसे भारत सरकार से मदद नहीं मिली, मोदी सरकार के लिए खास है।

हेलीकॉप्टर सौदे पर राज्यसभा में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के कल के भाषण पर टिप्पणी करते हुए शौरी ने कहा कि यह खोदा पहाड़ निकला चूहा नहीं बल्कि निकला अदश्य चूहा जैसा है। उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के दो साल के कार्यकाल की सभी के साथ मुक्केबाजी से तुलना की और कहा कि उनमें वह फोकस नहीं है जिसकी हमें उनसे उम्मीद थी। यह बहुत बड़ा अवसर पूरी तरह चूक जाने जैसा है।

प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार पूर्व मंत्री ने कहा कि एक समस्या यह है कि मोदी महज चंद लोगों से सूचनाएं (इनपुट) ले रहे हैं और ये भी वे लोग हैं जिन्हें उन्होंने ही चुना है। शौरी को घर वापसी, लव जिहाद, बीफ पर पाबंदी, पुरस्कारों की वापसी, राष्ट्रवाद के विरोध के खिलाफ अभियान, भारत माता की जय पर फोकस और विद्यार्थियों के प्रदर्शन में एक स्पष्ट तरह की तार्किकता नजर आती है। यह सब जानबूक्षकर सरकार द्वारा गढ़ा गया।

उन्होंने कहा कि इरादा टकराव और ध्रुवीकरण पैदा करना है और मोदी ने भारत में जानबूझकर विभाजन पैदा किया जो बांटो एवं शासन करो की नीति है। हालांकि उन्होंने माना कि मोदी के शासन में केंद्र में भ्रष्टाचार बिल्कुल कम हो गया या गायब हो गया लेकिन उन्होंने मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाला, ललित मोदी प्रकरण और सारदा घोटाले के उदाहरण देते हुए कहा कि लेकिन राज्यों के संदर्भ में जानबूझकर कुछ नहीं किया गया।

पूर्व मंत्री ने कांग्रेस शासित राज्यों-उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने को असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा जानबूझकर दलबदलुओं को आकर्षित करने और आमंत्रित करने की नीति पार्टी को कमजोर करेगी।

शौरी मोदी द्वारा पाकिस्तान के साथ रिश्ते को संभालने के तौर तरीके के बड़े आलोचक नजर आए और उन्होंने कहा कि हमने पाकिस्तान की नजर में खुद को बेवकूफ बना लिया है।

शौरी ने कहा कि मोदी की पाकिस्तान नीति में कोई एकरूपता या तार्किकता नहीं है जिसने भारत को भ्रमित कर दिया है। उन्होंने पाकिस्तान के संबंध में यू-टर्न लिए जाने की भी आलोचना की।

चीन के प्रति प्रधानमंत्री की नीति पर भी हमला करते हुए उन्होंने कहा कि ये बड़े पड़ोसी के प्रति नेहरू की नीति जैसी ही है। दोनों की सोच है कि वे डै्रगन को वशीभूत कर लेंगे और दोनों गलत साबित हुए। मोदी की नीति चीन को यह दावा करने के लिए प्रोत्साहित करेगी कि कश्मीर द्विपक्षीय नहीं बल्कि त्रिपक्षीय मामला है और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अपनी मौजूदगी के चलते चीन इस मुद्दे का तीसरा पक्ष है।

विश्व बैंक के पूर्व अर्थशास्त्री ने अर्थव्यवस्था के बारे में कहा कि उनका मानना है कि 7.6 फीसदी की वृद्धिदर का दावा गुजरात निवेश सम्मेलनों के दौरान निवेश के बारे में बढ़ा चढ़ाकर किए गए दावों के समान ही है।

उनके अनुसार सरकार अपनी नीतियों में क्रांतिकारी बदलाव नहीं ला पाई है और वह पिछली तारीख से करारोपण करने एवं बैंकिंग संकट समेत कर मुद्दों को ठीक से संभाल नहीं पाई। शौरी ने सरकार पर बैंकिंग संकट के सिलसिले में भारी लापरवाही करने और गैर जिम्मेदार होने का आरोप भी लगाया।

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