रोज़गार के मामले में यूपीए की तुलना में मोदी सरकार का रिकॉर्ड बेहद ख़राब

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नई दिल्ली । सरकारी सर्वे में बताया गया है कि रोज़गार के मामले में यूपीए की तुलना में मोदी सरकार का रिकॉर्ड बेहद ख़राब है । 2015 में उपलब्ध नई नौकरियों के आंकड़े पिछले 6 साल में सबसे कम हैं ।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस तिमाही में नौकरी मिलने के अवसर पिछले सालों में सबसे कम हुए हैं। देश में नौकरी के अवसर कितने बढ़े और कितने कम हुए इसके लिए 2009 में पहली बार इस प्रकार का सर्वे किया गया था।

राष्ट्रीय हिंदी दैनिक जनसत्ता की एक रिपोर्ट के अनुसार यह सर्वे 8 सेक्टर्स पर किया गया। इसमें टेक्सटाइल, लेदर, मेटल, ऑटोमोबाइल और जूलरी आदि शमिल थे।

इनकी 1,932 यूनिट का अध्यन करने पर पता लगा कि जहां 2013 में 4.19 लाख नौकरियां निकली थीं, वहां आंकड़ा 2014 में 4.21 लाख पहुंचा, पर 2015 में वह 1.35 लाख पर ही अटक गया। यह आंकड़े इसलिए हैरान कर देने वाले हैं क्योंकि हर महीने लगभग 10 लाख नौजवान नौकरियों की तलाश में मार्केट में उतर आते हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि इस तिमाही के डाटा से पता लगा है कि आईटी और बीपीओ सेक्टर के हालात बाकियों के मुकाबले काफी ठीक हैं। पिछली चार तिमाही यानी एक साल में इस सेक्टर में नौकरी के अवसर मजदूर प्रधान 8 सेक्टर से ज्यादा रहे। इंडिया रेटिंग के प्रमुख अर्थशास्त्री डीके पंत ने कहा, ‘भूमि अधिग्रहण के विवाद के अलावा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग में आई कमी की वजह से किसी भी इंवेस्टर के लिए पैसा लगा पाना कठिन हो रहा है।’

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