जी हाँ, मैं बीफ का बड़ा कारोबारी हूँ और मुस्लिम नहीं हूँ

ब्यूरो। बीफ और उससे जुड़े कारोबार को लेकर मुसलमानो पर निशाना लगाना कहाँ तक ठीक है जबकि इस धंधे में मुसलमानो का हिस्सा बहुत थोड़ा सा है। जहाँ तक बीफ खाने की बात है तो इसे सिर्फ मुसलमान ही नहीं खाते बल्कि गैर मुस्लिमो में भी इसका इस्तेमाल बड़े स्तर पर किया जाता है।

क्या बीफ सिर्फ मुसलमान ही खाते हैं ? इसका जबाव इस बात से मिलता है कि देश के पूर्वोत्तर राज्यों में पशुवध के लिए मवेशियों की खरीद फरोख्त वाले कानून के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले मुस्लिम नहीं हैं। इतना ही नहीं मेघालय में खुद बीजेपी नेता बीफ बंदी के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर रहे हैं।

वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद देश में बीफ को लेकर मुसलमानो पर हमले होते रहे हैं। दादरी में अख़लाक़ की हत्या और अलवर में पहलू खां की हत्या के अलावा भी कई ऐसे मामले हुए हैं जिनमे बीफ को आधार बनाकर मुसलिम लोगों को निशाना बनाया गया है।

बीते दिनों सीएनएन न्यूज़18 पर आयोजित एक डिबेट के दौरान ऑल इण्डिया मीट एंड लाइवस्टॉक एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन के महासचिव एसपी सभरवाल ने दावा किया कि भारत में ‘बीफ़’ यानी भैंस के कारोबार से जुड़े 70 प्रतिशत लोग मुसलमान नहीं हैं।

सभरवाल ने कहा, ”मैं हिंदू हूं और पिछले 30 साल ले बीफ के कारोबार में हूं।” उनका कहना है कि ना तो भारत में मौजूद बूचड़खानों में गोहत्या होती है और ना ही गोमांस का निर्यात ही किया जाता है। वो कहते हैं, “बीफ का निर्यात भारत में चार अरब अमरीकी डॉलर का उद्योग है।”

वो कहते हैं इस उद्योग पर सरकार द्वारा पशुओं से क्रूरता को रोकने के लिए बने क़ानून में हाल ही में किये गए संशोधन से बुरा असर पड़ा है। इसके अलावा इससे ही जुड़े चमड़े के उद्योग ने भी 13 अरब अमरीकी डॉलर का व्यवसाय किया है।

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TeamDigital