ओवैसी ने लोकसभा में पूछा ‘कालेधन वालों को समय मिल सकता है तो अवैध बूचड़खानों को क्यों नहीं’
नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार द्वारा कट्टीघरों पर की जा रही कार्यवाही पर आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार की नीयत पर सवाल उठाये। ओवैसी ने सरकार से पूछा कि क्या सरकार सच में भैंस के मीट के एक्सपोर्ट को प्रमोट करना चाहती या फिर इस पर बैन लगाना चाहती?
ओवैसी ने मामला उठाते हुए कहा कि यूपी में भैंस के मीट की कई एक्सपोर्ट यूनिटों को बंद किया जा रहा है। वहीँ संसद के बाहर मीडिया से बात करते हुए ओवैसी ने कहा, “यह पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार की गलती है कि उसने बूचड़खानों को नियमित नहीं किया। (नई) सरकार को उन्हें बंद करने की बजाय नियमित किए जाने के लिए समय देना चाहिए।” उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि उत्तर प्रदेश में न केवल अवैध, बल्कि कुछ वैध बूचड़खाने भी बंद किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, “यदि सरकार काला धन जमा रखने वालों को अपनी संपत्ति घोषित करने और उसे वैध बनाने का समय दे सकती है, तो फिर बूचड़खानों को नियमित करने के लिए समय क्यों नहीं दिया जा सकता? इसका अर्थ यह है कि वे किसी खास समुदाय को निशाना बना रहे हैं।” ओवैसी ने कहा कि भारत से भैंस के मांस के निर्यात का कारोबार 26,000 करोड़ रुपये का है और आधी से भी ज्यादा निर्यात इकाइयां उत्तर प्रदेश में हैं।
बहस में शामिल होते हुए कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि अवैध दुकानों के खिलाफ जरूर कार्रवाई हो, लेकिन जिनके पास लाइसेंस है. उन्हें बेवजह परेशान नहीं किया जाए।
इसका जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कार्रवाई सिर्फ अवैध बूचड़खानों पर हो रही है। सीतारमन ने पूछे गए पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि मुझे लगता है कि माननीय सांसद भी नहीं चाहते होंगे कि अवैध बूचड़खाने चालू रहें। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री (आदित्यनाथ योगी) ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अवैध बूचड़खानों की बात कर रहे हैं। इस पर दो राय नहीं है।”
चीन द्वारा भारत से भैंस के मांस के आयात को मंजूरी नहीं दिए जाने पर सीतारमन ने कहा कि कई अन्य चीजें भी हैं, जिनकी पहुंच चीनी बाजार तक नहीं है। उन्होंने कहा कि इस बारे में केंद्र सरकार चीन के संपर्क में है।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के सवाल के जवाब में सीतारमन ने कहा कि वैश्विक आर्थिक स्थिति की वजह से पिछले कुछ वर्षो से निर्यात में गिरावट देखी गई है। उन्होंने कहा, “साल 2014-15, 2015-16 के दौरान निर्यात में गिरावट रही। यदि आप मासिक निर्यात आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलेगा कि स्थिति में सुधार हो रहा है।” उन्होंने कहा, “निर्यात पर नोटबंदी का असर नहीं हुआ है।”