मुंबई यूनिवर्सिटी की किताब में गांधी-तिलक को साम्प्रदायिक और जिन्ना को बताया सेकुलर
मुंबई । दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक किताब में भगत सिंह को आतंकी बताये जाने का मुद्दा अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि अब दूसरा नया विवाद मुंबई यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम के लिए तैयार राजनीतिक विज्ञान की टेक्स्टबुक से पैदा हो गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक किताब में महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक को साम्प्रदायिक और मुस्लिम लीग के जनक मोहम्मद अली जिन्ना को सेक्युलर बताया गया है। दूरस्थ शिक्षा के कोर्स के लिए बनी पुस्तक में कहा गया है केवल वामपंथी कम्युनिस्ट दल ही वास्तव में सेक्युलर रहे हैं।
बाकी राजनीतिक दलों ने साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया है।वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने इस पुस्तक में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के योगदान की उपेक्षा पर सवाल उठाया है। जबकि पुस्तक में वामपंथी नेताओ पर कई पाठ हैं।
कांग्रेस ने महात्मा गांधी और तिलक को साम्प्रदायिक बताने वाली पुस्तक को तत्काल वापिस लेने की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि इस मामले में महाराष्ट्र सरकार को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।महात्मा गांधी पर पुस्तक में लिखा गया है कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि गांधी राष्ट्रवादी आंदोलन से जुड़े और हिन्दू प्रतीक चिह्नों और उदाहरणों ने जिन्ना को इतना चिढ़ा दिया कि उन्होंने कांग्रेस ही नहीं, भारत ही छोड़ दिया।
किताब में जिन्ना तारीफ करते हुए लिखा गया है कि की गई है कि ये इतिहास की विसंगति है कि एक सच्चे राष्ट्रवादी और सेक्युलर नेता (जिन्ना) को गांधी के साथ अहम के टकराव की वजह से राष्ट्रीय आंदोलन छोडऩा पड़ा। और उन्हें अंतत: मुसलमानों का कायदे-आजम बनना पड़ा, जिस नाते उन्हें उपमहाद्वीप छोडऩे और पाकिस्तान बनाने की जिम्मेदारी (का दोष) उठानी पड़ा। किताब में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के लिए लिखा गया है कि गणेशात्सव शुरू करके और भगवत गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों को बढ़ावा देने की उनकी कार्रवाई और उनका रवैया साफ तौर पर साम्प्रदायिक था।