चिदंबरम ने जीएसटी को बताया मोदी सरकार का मज़ाक, कहा “कांग्रेस उठाएगी व्यापारियों के मुद्दे”
नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने एक बार फिर जीएसटी के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरते हुए देश में लागू किये गए जीएसटी को मोदी सरकार का जनता के साथ मज़ाक करार दिया है।
चिदंबरम ने कहा, भाजपा सरकार को सभी राजनीतिक दलों से चर्चा के बाद कर की तीन दरों पर सहमति बनानी चाहिए थी। किन्तु सरकार इसमें बुरी तरह विफल हो गयी। यदि यह जीएसटी कांग्रेस की संप्रग सरकार ने बनायी होती तो निश्चित ही हम एक टैक्स दर (तीन स्लैब के साथ) के लिए प्रतिबद्धता से काम करते।
उन्होंने कहा, मौजूदा सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने भी जीएसटी में 15 से 15.5 की दर का सुझाव दिया था और दिखाया था कि यही एक राजस्व निरपेक्ष दर है। यदि यह खबर सही है तो सरकार ने 28 प्रतिशत और 40 प्रतिशत की ऊंची कर दर क्यों रखी।
चिदंबरम ने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री यशवन्त सिन्हा भी यह कह चुके हैं कि यह वह जीएसटी नही हैं जिसकी अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली प्रथम राजग सरकार ने परिकल्पना की थी। उन्होंने कहा कि वित्ती मंत्री के रूप में उन्होंने एवं उनके बाद वित्ती मंत्री बने प्रणब मुखर्जी ने भी इस जीएसटी की परिकल्पना नहीं की थी।
उन्होंने वर्तमान स्वरूप में जीएसटी लागू होने के कारण व्यापारियों खासकर छोटे एवं मध्यम वर्ग के व्यवसायियों को हो रही दिक्कतों का हवाला देते हुए कहा कि जीएसटी का क्रियान्वयन दो महीनों के लिए टाल दिया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि जीएसटी को प्रायोगिक तौर पर लागू किया जाना चाहिए था और यदि उसमें कोई कमियां पायी जाती तो उसे दूर किया जाना चाहिए था।
उन्होंने सवाल किया, जब 0.05, 3, 5, 12, 18, 28 एवं 40 या संभवत: उससे अधिक दरें हैं क्योंकि राज्य सरकारों के पास विवेकाधिकार होगा, हम इसे एक देश एक कर प्रणाली कैसे कह सकते हैं। चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस जीएसटी के लागू होने पर लगातार निगाह रखेगी तथा छोटे एवं मझोले व्यापारियों एवं बहु राज्यीय व्यसायों एवं उपभोक्ताओं की चिंताओं को उठाती रहेगी।