हाईकोर्ट के न्यायाधीश से प्रबुद्ध नागरिको की अपील- सीएम योगी के साथ मंच साझा न करें
इलाहाबाद । उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट की स्थापना के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित होने जा रहे कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ के शामिल होने की खबरों के बीच कुछ प्रबुद्ध नागरिको और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से निवेदन किया है कि वे सीएम योगी के साथ मंच साझा न करें।
प्रबुद्ध नागरिको का कहना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ पर गोरखपुर जनपद में करीब 28 मामले दर्ज हैं इनमे 22 संगीन अपराधों से जुड़े हैं। इनमे एक बेहद गम्भीर आरोप गोरखपुर में दंगा करवाने का भी है जिसकी जांच के लिए सीबीआई के लिए याचिका लंबित है। ऐसे में यदि मुख्य न्यायाधीश उनके साथ मंच साझा करते हैं तो ये कानून की तौहीन होगी।
मुख्य न्यायाधीश को इस आशय का पत्र भेजने वालों में से एक अधिवक्ता केके राय ने कहा, ‘हमें योगी आदित्यनाथ से निजी तौर पर कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि देश के मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और तमाम न्यायाधीशों के साथ मंच पर योगी की मौजूदगी से जनता के बीच ग़लत संदेश जाएगा। लोग न्याय के लिए न्यायपालिका की तरफ देखते हैं। वे समझते हैं कि कोर्ट उनकी संरक्षक है, अगर आदित्यनाथ न्यायपालिका को भी संबोधित करेंगे तो यह न्यायपालिका का अपमान होगा।’
द वायर के अनुसार इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह ने नागरिक समाज के इस क़दम का स्वागत किया है। ऋचा ने छात्रसंघ अध्यक्ष रहते हुए योगी आदित्यनाथ के विश्वविद्यालय आगमन का विरोध किया था और विश्वविद्यालय में उनका संबोधन नहीं होने दिया था।
उन्होंने कहा कि, ‘मुख्य न्यायाधीश को इस बात पर विचार करना चाहिए कि अगर योगी आदित्यनाथ के साथ सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के न्यायाधीश मंच शेयर करते हैं, तो आगे चलकर योगी के ख़िलाफ़ चल रहे गंभीर मामलों की सुनवाई उन्हीं न्यायाधीशों को करनी है। उन्होंने कहा कि जो लोग आपके साथ मंच शेयर कर रहे हैं, वे कैसे मुख्यमंत्री की हैसियत से आपके ख़िलाफ़ फ़ैसला सुनाएंगे? यह ग़ैरक़ानूनी हो न हो, लेकिन अनैतिक और प्राकृतिक न्याय के ख़िलाफ़ है यह तथ्य है कि योगी के ख़िलाफ़ बेहद गंभीर मामले चल रहे हैं।’