हरीश रावत ने मानी स्टिंग सीडी में अपनी मौजूदगी, कहा ‘पत्रकारों से मिलना गुनाह नहीं’

हरीश रावत ने मानी स्टिंग सीडी में अपनी मौजूदगी, कहा ‘पत्रकारों से मिलना गुनाह नहीं’

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देहरादून। उत्तराखंड के अपदस्थ मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पहली बार उस सीडी में अपने मौजूदगी की बात “कबूली” है, जिसे अब तक वह फर्जी स्टिंग ऑपरेशन बताते आ रहे थे। रावत ने कहा, “क्या किसी पत्रकार से मिलना अपराध है? अगर उस विधायक ने मुझसे बात की, जिसकी सदस्यता तब तकनीकी रूप से रद्द नहीं की गई थी, तो इससे क्या फर्क पड़ता है? क्या राजनीति में हम कोई राह बंद कर देते हैं?”

यहां एक कार्यक्रम के बाद रावत ने खुद के निर्दोष होने का दावा करते हुए कहा कि अगर वीडियो में ऐसे सबूत हैं, जो उन्हें बागी विधायकों का समर्थन पाने के लिए पैसे का ऑफर देने की बात साबित करते हैं तो वह सार्वजनिक रूप से सूली पर चढ़ने के लिए तैयार हैं। रावत ने कहा, “यदि पैसे की पेशकश करने या किसी को देने संबंधी कोई भी सबूत मेरे खिलाफ जाता है, तो मुझे क्लॉक टावर (देहरादून का व्यस्ततम चौक) पर लटका देना।”

हालांकि, रावत की कबूलनामे से यह साफ हो गया है कि उनकी उस पत्रकार से मुलाकात हुई थी। रावत का यह बयान इस मामले में नया मोड़ हो सकता है, क्योंकि अब तक वे इस वीडियो को ही फर्जी बताते आ रहे थे। रावत ने कहा, “कोई मुझे पर 15 करोड़ रुपए क्यों खर्च करेगा। वह पत्रकार समय गुजारने के लिए बेतुकी बातें कर रहा था और मैंने भी कुछ कह दिया। इससे क्या फर्क पड़ता है? हम रोज ऐसी बातें कहा करते हैं।”

यह स्टिंग एक निजी न्यूज चैनल के एडिटर-इन-चीफ ने 23 मार्च को जोलीग्रांट एयरपोर्ट पर किया था। इसमें हरीश रावत 15 की बात करते सुनाई दे रहे हैं। वह उमेश शर्मा नामक एक व्यक्ति से बात कर रहे हैं और उसे 10 (संभवत: 10 करोड़) का इंतजाम करने के लिए कह रहे हैं। स्टिंग के वीडियो को बागी हुए 9 विधायकों ने जारी किया था। इसके बाद उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मच गई थी। स्टिंग सामने आने के बाद हरीश रावत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर उसे फर्जी करार दिया था और कहा था कि वीडियो में जिस पत्रकार से वे बात कर रहे हैं, उसका पेशा ही ब्लैकमेलिंग है।

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