सुब्रह्मण्यम स्वामी बोले- हेरल्ड मामले में सोनिया और राहुल का पीछा नहीं छोड़ूंगा

subramanian-swamy0e483

नई दिल्ली । भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने शुक्रवार को कहा कि वे नेशनल हेरल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मोतीलाल वोरा का पीछा नहीं छोड़ेंगे। 2016 के लिए उन्होंने अपना यही लक्ष्य तय कर रखा है। वे इस मामले के सभी आरोपियों को जेल भिजवा कर ही चैन से बैठेंगे।

स्वामी ने यह बात राजधानी के विट्ठल भाई पटेल सभागार में आयोजित किसानों की एक गोष्ठी में कही। भारतीय किसान अभियान ने स्वामी के राज्यसभा सदस्य चुने जाने पर उनके सम्मान में यह आयोजन किया था।

गोष्ठी में जब कुछ किसान नेताओं ने स्वामी से किसानों के हित में संघर्ष करने का आग्रह किया तो स्वामी बोले कि इस साल का उनका एजेंडा पहले से तय है। किसानों के मुद्दे को वे अगले साल अपने हाथ में लेंगे। उनकी समस्याओं का समाधान होने तक संघर्ष जारी रखेंगे। पर इस साल तो वे सोनिया, राहुल और वोरा को हेराल्ड मामले में किए गए उनके गुनाह के लिए सजा दिलाने के अपने मिशन में ही व्यस्त हैं।

गोष्ठी में किसानों की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की गई। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सैकड़ों किसानों को आयोजक और पूर्व सांसद हरपाल पंवार ने जुटाया था। शुरू में देर तक स्वामी का सम्मान चलता रहा और उन्हें दर्जनों किसानों ने पगड़ी पहनाई। साथ ही उम्मीद जताई कि अपने जुझारू तेवरों का राज्यसभा में वे किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए उपयोग करेंगे।

कृषि मूल्य व लागत आयोग के पूर्व सदस्य टी हक, आर्थिक चिंतक हरबीर सिंह, जाट महासभा के महामंत्री युद्धबीर सिंह, राजकुमार सिंह और अरविंद चतुर्वेदी आदि वक्ताओं ने देश में किसानों की लगातार जारी दुर्गति का खाका खींचा। इस गोष्ठी की अध्यक्षता पूर्व सांसद सुनील शास्त्री ने की। वक्ताओं ने कहा कि किसानों को न तो उनकी उपज का वाजिब दाम मिल रहा है और न किसी सरकारी योजना का लाभ। नतीजतन, वे आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं।

हरपाल पंवार ने उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को चीनी मिलों द्वारा खरीदे गए गन्ने का भुगतान नहीं होने पर गहरी चिंता जताई। वक्ताओं ने लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए वादों का भी जिक्र किया और कहा कि किसानों को लाभकारी दाम मिलना तो दूर उनकी लागत के बराबर दाम भी नहीं दिया जा रहा।

युद्धबीर सिंह ने राजनीतिकों की आलोचना करते हुए कहा कि वे किसानों को भी अपने स्वार्थ के लिए जातियों में बांट देते हैं। जबकि किसानों की कोई जाति नहीं है। उनकी समस्याएं एक जैसी हैं। वे तो यही चाहते हैं कि सरकार उनकी उपज का दाम पहले से तय कर दे, ताकि वे खेत में बोई जाने वाली फसल के बारे में फैसला कर सकें। उन्होंने सरकारी फसल बीमा योजना को भी अव्यावहारिक बताया।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital