वित्त मंत्री के पति ने भी माना ‘अर्थव्यवस्था की हालत खराब, सरकार रोडमैप तैयार करने में विफल ‘

वित्त मंत्री के पति ने भी माना ‘अर्थव्यवस्था की हालत खराब, सरकार रोडमैप तैयार करने में विफल ‘

नई दिल्ली। जहाँ एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित सरकार में बैठे तमाम मंत्री देश में सबकुछ ठीक होने के दावे कर रहे हैं। वहीँ अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति और आंध्र प्रदेश सरकार के पूर्व संचार सलाहकार पराकला प्रभाकर ने स्वीकार किया है कि देश की अर्थव्यवस्था की रेल पटरी पर सही से नहीं दौड़ रही।

अंग्रेजी अख़बार द हिन्दू में लिखे अपने लेख में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति पराकला प्रभाकर ने लिखा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत खराब है और इसे सुधारने के लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने चाहिए।

उन्होंने यह भी लिखा कि सरकार इस संकट से निपटने के लिए कोई रोडमैप नहीं पेश कर पाई है। सरकार भले इससे इनकार करे, लेकिन जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, उनसे यह पता चलता है कि एक-एक कर कई सेक्टर संकट के दौर का सामना कर रहे हैं।

इतना ही नहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति पराकला प्रभाकर ने बीजेपी और सरकार को नसीहत करते हुए लिखा कि भाजपा को अर्थव्यवस्था के लिए नरसिम्हा राव-मनमोहन सिंह मॉडल अपनाना चाहिए।

निर्मला सीतारमण के पति ने अपने लेख में लिखा कि ‘भारतीय निजी उपभोग में गिरावट आई है और यह 18 महीने के निचले स्तर 3.1 फीसदी तक पहुंच गया है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6 साल के निचले स्तर पर 5 फीसदी पर पहुंच गई है। बेरोजगारी दर 45 साल के सबसे ऊंचे स्तर तक पहुंच गई है।’

पराकला प्रभाकर ने लिखा कि ‘इस बारे में कम प्रमाण हैं कि सरकार के पास इन चुनौतियों से निपटने की रणनीतिक दृष्टि है। पार्टी नेतृत्व को शायद इस बात का आभास था, इसीलिए इस बार लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अपने आर्थ‍िक प्रदर्शन की कोई बात नहीं की और समझदारी के साथ एक दृढ़ राजनीतिक, राष्ट्रवादी, सुरक्षा का एजेंडा पेश किया।’

पी. प्रभाकर ने कहा कि बीजेपी कोई वैकल्प‍िक नीति पेश नहीं कर पाई है। आदर्श पुरुष दीनदयाल उपाध्याय का ‘एकात्म मानववाद’ व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने लिखा है, ‘एकात्म मानववाद को आधुनिक बाजार आधारित वैश्विक दुनिया में व्यावहारिक नीतियों में नहीं बदला जा सकता।’

इतना ही नहीं प्रभाकर ने लिखा कि मौजूदा आर्थ‍िक परेशानी का एक अनिवार्य तत्व यह है कि बीजेपी नेहरूवादी नीतियों के ढांचे को पूरी तरह से अपनाना नहीं चाहती जिसकी वह आलोचना करती रही है। आर्थ‍िक नीति में पार्टी ने मुख्यत: ‘नेति नेति’ (यह नहीं, यह नहीं) को अपनाया है और यह नहीं बताती कि उसकी अपनी नीति क्या है।

पराकला प्रभाकर ने बीजेपी और मोदी सरकार की आलोचना में लिखा कि बीजेपी नेहरूवादी ढांचे की आलोचना करती रही है, लेकिन वह इसका विकल्प नहीं पेश कर पाई है। कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्रियों नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह द्वारा तैयार ढांचे को भी बीजेपी दूर नहीं कर पाई है।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital