राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए शिवसेना एनसीपी में बढ़ती दोस्ती से बीजेपी परेशान

नई दिल्ली। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार का नाम उछलने के बाद शिवसेना और एनसीपी में बढ़ती नजदीकियों से बीजेपी खासी परेशान बताई जाती है। पिछले दिनों शरद पवार की किताब के लांच के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार द्वारा शरद पवार को राष्ट्रपति पद के लिए उपयुक्त व्यक्ति बताये जाने के बाद जनतादल यूनाइटेड और बामपंथी दलों ने भी इससे अपनी सहमति जताई थी।

हालाँकि इस कार्यक्रम में मौजूद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने शरद पवार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं की लेकिन पिछले दो दिनों में कांग्रेस ने भी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर अपनी माथापच्ची शुरू कर दी है। अभी हाल ही में अपना इलाज कराकर स्वदेश लौटी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी द्वारा कांग्रेस सांसदों को रात्रि भोज पर बुलाया जाना भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा बताया जा रहा है।

कांग्रेस सूत्रों की माने तो कांग्रेस इस मामले में कोई कदम जल्दबाज़ी में नहीं उठाएगी। पार्टी एनडीए के उम्मीदवार का नाम सामने आने पर ही अपने पत्ते खोलेगी। वहीँ सूत्रों की माने तो शरद पवार के नाम पर अन्य विपक्षी दल तैयार हैं और सिर्फ कांग्रेस की सहमति बाकी रह गयी है।

राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए एक एक कदम फूंक कर रख रही बीजेपी के लिए शिवसेना का रुख जानना बेहद ज़रूरी है। उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद योगी आदित्यनाथ, और उपमुख्यमंत्री केशव सिंह मौर्या तथा गोवा का मुख्यमंत्री बनने के बाद मनोहर परिकर ने अभी तक लोकसभा से इस्तीफा इसीलिए नहीं दिया है। इन तीन नेताओं के लोकसभा से इस्तीफा न देने के चलते भाजपा ने करीब 2100 वोटों की कमी पूरी की है। वहीँ विधानसभा उपचुनावों में पांच सीटें जीतकर बीजेपी ने अपने मतों में बढ़ोत्तरी कर ली है।

इसके बावजूद बीजेपी को अभी भी मतों की दरकार है। यदि ऐसे हालात में शिवसेना ने बीजेपी का सहयोग करने से इंकार कर दिया तो बीजेपी को एक करारी चोट ज़रूर लग सकती है। सूत्रों की माने तो भाजपा को अभी 16 हजार वोट और चाहिए तभी वह राष्ट्रपति पद पर अपना उम्मीदवार जीता सकती है।

बामपंथी दलों और जनता दल यूनाइटेड कांग्रेस पर जल्द इस मामले में कदम बढ़ाने के लिए दबाव बना रहे हैं। सम्भावना है कि एनडीए के खिलाफ उम्मीदवार उतारने को लेकर विपक्षी दलों की जल्द ही संयुक्त बैठक हो सकती है।

हालाँकि शरद पवार को लेकर कांग्रेस की राय अलग होने की सम्भवना है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के निधन के बाद शरद पवार ने सोनिया गाँधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाये जाने का विरोध किया था और उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। इसलिए सम्भव है कि राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस शरद पवार का नाम आगे बढ़ाने की जगह दक्षिण के किसी कांग्रेस नेता का नाम आगे बढ़ाये।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital