योगी सरकार के 100 दिन: निर्णय लागू करने से पहले होमवर्क की कमी

योगी सरकार के 100 दिन: निर्णय लागू करने से पहले होमवर्क की कमी

नई दिल्ली(राजा ज़ैद)। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के 100 दिन पूरे करने पर भले ही सरकार और पार्टी स्वयं अपनी पीठ थपथपा रहे हों लेकिन लेकिन बड़ी सच्चाई यह है कि इन 100 दिनों में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों में अपरिपक्यता और अनुभव हीनता साफ़ दिखाई देती है। प्रतीत होता है कि निर्णय लेने से पहले सरकार ने उसके अमल को लेकर होमवर्क नहीं किया।

15 जून तक प्रदेश की सड़को के गड्डे भरने और प्रदेश में 24 घंटे बिजली देने के वादे के अलावा प्रदेश में बूचड़ खानो और मीट विक्रेताओं के खिलाफ जिस तरह कार्यवाही शुरू की गयी वह कुछ और नहीं बल्कि होम वर्क की कमी ही थी। सरकार ने अपने निर्णय को अमल में लाने से पहले कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किये।

प्रदेश में योगी सरकार के सत्ता सँभालने के बाद बनाया गया एंटी रोमियो स्क्वाड पहले दिन से विवादों के घेरे में रहा। एंटी रोमियो स्क्वाड के काम करने के तरीके के अलावा इस स्क्वाड के नाम पर हिन्दू वाहिनी और बीजेपी के कार्यकर्ताओं की गुंडई से सरकार के होमवर्क पर सवाल उठना लाजमी है।

इतना ही नहीं प्रदेश में सरकार बनने के बाद आयी तबादलों की बाढ़ ने प्रशासनिक अधिकारीयों के मनोबल पर बड़ा असर डाला। कई जगह पुलिस पर बीजेपी, विहिप और बजरंगदल नेताओं ने हमले किये और अपमानित किया।

सहारनपुर में बिना पुलिस परमिशन आंबेडकर शोभा यात्रा निकालने के मामले ने जहाँ प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह पैदा किये वहीँ एसएसपी कार्यालय पर बीजेपी सांसद के साथ भीड़ द्वारा हमला किये जाने से पुलिस का मनोबंल प्रभावित हुआ। प्रदेश में बीजेपी नेताओं द्वारा पुलिस अधिकारीयों को अपमानित करने की घटनाओं से साफ़ ज़ाहिर हुआ कि सरकार और पार्टी में तालमेल का अभाव है। प्रदेश में हुई कुछ घटनाओं से साफ़ दिखा कि या तो सरकार बीजेपी नेताओं को प्रशासनिक कार्यो में दखलंदाज़ी न करने के लिए कह नहीं पा रही अथवा पार्टी उस पर अमल नहीं कर रही है।

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और गोरखपुर से कई बार के विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल द्वारा एक महिला आईपीएस चारू निगम के साथ बदसलूकी, योगी सरकार में मंत्री स्वाति सिंह द्वारा बीयर बार का उद्धघाटन, हिन्दू वाहिनी कार्यकर्ताओं की दादागीरी जैसी घटनाओं को प्रदेश सरकार की उपलब्धि नहीं कहा जा सकता, वहीँ कई मामलो में साफ़ दिखा कि सरकार का अपने मंत्रिमंडल के लोगों के साथ और पार्टी नेताओं के साथ कम्युनिकेशन का अभाव है।

“पहले सौ दिनों के कार्यकाल में प्रदेशभर में अपराधो का ग्राफ तेजी से चढ़ा। मथुरा में दोहरे हत्याकांड, जेवर हाइवे पर महिलाओं के साथ दुष्कर्म, कई सर्राफा व्यापारियों से लूट की घटनाओं ने प्रदेश में कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया। प्रदेश में कानून व्यवस्था को कड़ा करने के सरकार के दावों के बावजूद प्रदेश में अपराधों का तांडव जारी है।”

वहीँ पहले सौ दिनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रदेश के विभिन्न शहरो के अनावश्यक दौरे किये। मुख्यमंत्री के इन दौरों के दौरान एक बार फिर सरकार और सरकार से जुड़े नौकरशाहों के बीच कम्युनिकेशन का अभाव दिखा। कई जगह अव्यवस्थाओं का माहौल नज़र आया। वहीँ मुख्यमंत्री के दौरे से पहले श्रीबस्ती के एक गाँव में दलित परिवारों को साबुन, शैम्पू और परफ्यूम बांटे जाने की घटना के खुलासे से सरकार की बड़ी किरकिरी हुई।

फिलहाल योगी सरकार के पहले सौ दिन के कार्यकाल का आंकलन किया जाये तो कोई ठोस वजह ऐसी नहीं दिखती जिसके आधार पर सरकार के कार्यो और प्रयासों को सराहा जा सके।

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TeamDigital