यातायात सुविधा से वंचित लद्दाख के गांव

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ब्यूरो (जेरीन डोलकर,लद्दाख) । 86,904 वर्ग किलोमीटर मे फैला लद्दाख, देश का एक सुंदर क्षेत्र है, लेकिन इस सुंदर क्षेत्र के कई गांव मुख्यधारा से सिर्फ इसलिए कटे हुए हैं क्योंकि यहाँ के अधिकतर गांव मे पक्की सड़के नही हैं, कारणवश यहाँ लोगो को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है जिसका सबसे नाकारात्मक प्रभाव लोगो के स्वास्थ पर पड़ रहा है,गर्भवती महिलाएँ भी इससे अछुती नही हैं।

इस संबध मे लद्दाख के फोटोगसर गांव मे रहने वाली 39 वर्षीय डेचेन डोलमा बताती हैं ” मेरे तीन बच्चे हैं, जब चौथा बच्चा होने वाला था तब मुझे जोंडिस हो गया और शरीर मे खुन की भी काफी कमी हो गई थी पर उसी हातल मे घर का सारा काम करते करते एक दिन तबीयत ज्यादा बिगड़ गई औऱ अस्पताल जाना पड़ा लेकिन खराब सड़क होने के कारण यहाँ गाड़ियाँ नही मिलती औऱ मुझे जानवर पर लाद कर पास के अस्पताल तक ले जाया गया पर अस्पताल पहुंचने मे काफी देर हो चुकी थी और मैंने बच्चे को हमेशा के लिए खो दिया।

ऐसा सिर्फ मेरे साथ नही हुआ बल्कि पहले भी गांव की कई महिलाओं को पक्की सड़क और यातायात सुवीधा न होने की कीमत अपने बच्चें को खोकर चुकानी पड़ी है।

वो आगे कहती हैं “हम सड़को पर चलने के लिए गधे और घोड़े का सहारा लेते हैं, कुछ समय पहले तक बे-गार प्रणाली के अंतर्गत कुछ परिवार एक साथ मिलकर गांव जानवरो पर बैठकर से हाईवे तक स्वास्थ के लिए दवाएँ लेने आते थे और स्वास्थ अधिकारी भी उसी हाइवे पर दवा उपलब्ध कराकर वापस लौट जाते थे। एक साथ हाइवे तक जाने के कारण हमारा सफर आसान हो जाता था औऱ हमारी स्वास्थ संबधी आवश्यकता पुरी हो जाती थी”।

Tsering Dolkar
               जेरीन डोलकर,लद्दाख

ज्ञात हो कि लद्दाख एक ऐसा क्षेत्र है जो चारो ओर उंची उंची पहाड़ियों से घिरा है, पहाड़ो औऱ यहाँ चलने वाली ठंडी हवाओ के बीच जीवन जीना आसान नही है और पक्की सड़को औऱ गाड़ियों का मौजुद न होना इस क्षेत्र मे जीवन को और कठिन बना देता हैं।

विशेष रुप से जाड़े के मौसम मे ये मुश्किल और भी बढ़ जाती है, क्योंकि कई घंटो तक लगातार होने वाली बर्फबारी यातायात साधन को बुरी तरह ठप्प कर देती है। ऐसी स्थिति मे अगर किसी बिमार व्यक्ति को अस्पताल तक पहुँचाना हो तो उसके लिए हेलीकॉप्टर की आवश्यकता पड़ती है और हेलीकॉप्टर की व्यवस्था के लिए सबसे पहले उस क्षेत्र के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी को सुचना देनी पड़ती है, ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सुचित करता है औऱ मुख्य चिकित्सा अधिकारी वहाँ के उपायुक्त को और उपायुक्त के भारतीय वायु सेना से विनती करने पर हेलीकॉप्टर की व्यवस्था हो पाती है।

इस पुरी प्रक्रिया के बाद हेलीकॉप्टर की व्यवस्था तो हो जाती है लेकिन कई बार इस लंबी प्रक्रिया की चपेट मे आकर रोगी की जान चली जाती है। इस प्रक्रिया के दुष्प्रभाव के बारे फोटोगसर गांव की आशा कार्यकर्ता थीनलस कोरोल कहती हैं” कई बार हमे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की ओर से दो हफ्तो के प्रशिक्षण का पत्र भी भेजा जाता है लेकिन यातायात सुवीधा सही न होने के कारण अक्सर पत्र हमें देर मे मिलते हैं और तो और डिजिटल उपग्रह फोन टर्मिनल (डी-एस-पी-टी) संचार सुवीधा भी पुरी तरह ठप पड़ जाती है।

ठप्प पड़ी इस अव्यव्स्था के बारे खालत्सी क्षेत्र के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डिस्किट डोलमा कहती हैं ” संचार और यातायात के साधनो की कमी के कारण आज लेह जिले के कोजोंक और लिंगशेड गांव के कई अस्पताल मे 50 डॉक्टरो के पद खाली पड़े हैं कारण सिर्फ इतना है कि वो इन क्षेत्रो मे काम करने मे सहज महसुस नही करते।

इस बारे मे लिंगशेड गांव की पार्षद सोनम डोरजे कहती हैं ” जाड़े के दिनो मे भारी बर्फबारी होने के कारण लद्दाख के कई गांव 6-7 महिने तक तक मुख्यधारा से पुरी तरह कट जाते हैं सिर्फ पक्की सड़के यहाँ के लिए चुनौती नही है बल्कि वैसी सड़के बनाने की जरुरत हैं जो भारी वर्षा मे भी न टुटे।

जैसे साल 2011 मे लोक निर्माण विभाग (पी-डब्लू-डी) की ओर से वानला गांव मे लगभग 10 किलोमीटर तक पक्की सड़के बनाई गई थी लेकिन कुछ दिन पहले आई बाढ़ मे वो बुरी तरह टुट गई। हमने इस मुद्दे को यहाँ के सभी उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया है ताकि इन क्षेत्रो मे सड़को की स्थिति और इसके कारण होने वाली स्वास्थ की समस्या को दुर किया जा सके।

अजीब बात है कि आज दुनीया सिमट कर एक गांव का रुप ले चुकी है,संचार व्यव्स्था के सरल होने के कारण एक दुसरे से संपर्क मे रहना काफी आसान हो गया है लेकिन लद्दाख और लद्दाख के कई क्षेत्रो मे सड़को की समस्या के कारण हम आसपास के गांव से भी ठिक तरह संपर्क नही कर पाते, पर हमारी ये समस्या कब दुर होगी इसका जवाब किसी के पास नही है।
(चरखा फीचर्स)

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