मीट की बंद दुकानों पर हाईकोर्ट ने योगी सरकार से 30 अप्रेल तक माँगा जबाव

इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में वैध अवैध के झमेले में फंसे मीट के कारोबारियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच ने राहत देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को 30 अप्रेल तक जबाव देने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लाइसेंस देने के लिए अदालत के दिशा निर्देश पर विचार किया जाए।

कोर्ट ने कहा है भोजन की आदत एक मानवीय स्वभाव है जो आदमी-आदमी पर निर्भर करती है और इसे राज्य द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि 1 मार्च तक जिन दुकानों को लाइसेंस नहीं मिले थे, उन्हें 1 हफ्ते में लाइसेंस देने पर हमारे गाइडलाइंस के मुताबिक विचार हो तथा सूबे में सभी ज़िला अधिकारी हर 2 किलोमीटर पर मीट की दुकानों को जगह मुहैया कराएं।

लखीमपुर खेरी नगर परिषद के रहने वाले मीट व्यपारी ने अपनी याचिका में कहा था कि वह बकरे के मीट का व्यापारी है और बार-बार अपील करने के बावजूद उसका लायसेंस रिन्यू नहीं किया जा रहा है। लाइसेंस रिन्यू नहीं होने से मीट व्यपारी पर जीविका गहरा संकट छा गया है।

हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार अवैध बूचड़खानों को बंद करें, लेकिन पूरी तरह से मीट पर बैन नहीं लगाया जा सकता। संविधान में आर्टिकल 21 के तहत लोगों को जिंदगी जीने और उनकी पसंद के खान-पान का अधिकार है। यह लोगों की आजीविका, खान-पान और रोजगार से जुड़ा मामला है, इसे पूरी तरह से बंद नहीं किया जा सकता।

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