पढ़िए : यूपी के 2000 किसान राष्ट्रपति से क्यों मांग रहे इच्छा मृत्यु की अनुमति

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मेरठ । एमडीए की वादाखिलाफी से आजिज आकर तीन योजनाओं के दो हजार किसान परिवारों ने जान देने का एलान कर दिया है। रविवार को हुई अहम पंचायत में किसानों ने निर्णय लिया कि वे तीन दिन के भीतर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस को दो हजार पत्र भेजकर इच्छा मृत्यु देने की मांग करेंगे, ताकि सभी सामूहिक रूप से अपनी जान दे सकें। साथ ही पिछले दस दिनों के भीतर हार्टअटैक से काल का ग्रास बने तीन किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग की।

लोहियानगर में किसानों ने शनिवार को मुआवजे के मसले पर एमडीए के फ्लैटों का काम रुकवा दिया था। एमडीए ने इसकी सूचना पुलिस को दी, लेकिन मौके पर किसानों के आक्रोश को देखते हुए पुलिस वापस लौट गई। उधर मुआवजे के मसले पर कसेरूवक्सर में गंगानगर, वेदव्यासपुरी और लोहियानगर के किसानों की मीटिंग हुई।

रविवार को कसेरूबक्सर गंगानगर स्थित तिलकपुरम पार्क में हुई बैठक में गंगानगर, लोहियानगर तथा वेदव्यास पुरी के काफी किसानों ने भाग लिया। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि एमडीए के अधिकारियों द्वारा प्रतिकर के बदले भूखंड दिए जाने के प्रस्ताव को नकारा जा रहा है।

अध्यक्षता करते हुए तेजपाल सिंह ने कहा कि एमडीए अधिकारी किसानों की जान के दुश्मन बने हैं और एमडीए वीसी राज्य सरकार विरोधी है। सरकार द्वारा आदेश पर भी यह प्रतिकर का भुगतान नहीं कर रहे हैं।

संघर्ष समिति महासचिव हरविंदर सिंह ने बताया कि पिछले दिनों एमडीए अधिकारियों द्वारा समझौते को नकारने पर कुछ किसान बहुत ज्यादा आहत हो गए। जिसमें पिछले दस दिनों में रजपुरा निवासी किसान विजय कौर, बक्सर निवासी रणधारा सिंह और नरेश शर्मा की मानसिक तनाव व हृदय गति रुकने से मौत हो गई। जिसके जिम्मेदार केवल एमडीए अधिकारी हैं। बैठक में किसानों ने तीनों की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए। साथ ही कैंडल जलाकर मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

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TeamDigital